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सविशेष उदाहरण वाक्य

उदाहरण वाक्य
31.सीस उतारे हाथि करि, सो पैसे घर मांहि।।“ कबीर का सौन्दर्य ब्रह्म सविशेष ब्रह्म है, इससे उनके अन्तःकरण में भगवान का प्रेम जागा तो कबीर ने कहा, ”संतो भाई आई ज्ञान की आंधी रे।

32.बाद को विवाद होगा, तब तक यह आवश् यक कार्य पूरा कीजिए तैल-पूर्ण पात्र यह लेकर प्रदक्षिणा कर आइए भूमंडल की ध् यान रहे सविशेष एक बूँद भी इससे तेल न गिरने पाए।

33.जैसे कि ब्रह्म, ओम, ईश्वर, वेद, वेदांत, परमेश्वर इत्यादि ; या फिर वैसे शब्द जो की पदवी वाचक हैं, जिन्हें केवल कुछ सविशेष परिश्रम से ही कमाया जाना चाहिए उदा.

34.वैयक्तिक और व्यावहारिक नाम कई दफा अति क्रोध से, कभी सविशेष लाड से या कभी अावेग में लिये जाते हैं-कभी कभी उन्हें तरोड मरोड भी दिया जाता है उ.दा. “राम” यह नाम-“रामा” घाटी के साथ एकरुप हो गया है ।

35.जक्का खाना एक बुन्देली मुहावरा है जिसका बहुत मौजूं उपयुक्त प्रयोग हुआ है-” चकित रह जाना ' से कहीं अधिक जोर दंग रह जाने में माना जा सकता है, परन्तु हमारी समझ में जक्का खाना में भय और विस्मय की सम्मिलित मात्रा सविशेष है।

36.वैयक्तिक और व्यावहारिक नाम कई दफा अति क्रोध से, कभी सविशेष लाड से या कभी अावेग में लिये जाते हैं-कभी कभी उन्हें तरोड मरोड भी दिया जाता है उ.द ा. “ राम ” यह नाम-“ रामा ” घाटी के साथ एकरुप हो गया है ।

37.वेद समुद्र के समान हैं जिनमें कर्म काण्ड, 33 करोड़ देवताओं की स्तुति आदि से लेकर ईश्वर के निर्विशेष और सविशेष सभी भावों का निरूपण है किन्तु गीता का ग्यान विशुद्ध आसुत जल की तरह है जिसमें भगवान अपने विराट स्वरूप से लेकर शब्द ब्रह्म, ओंकार आदि की चर्चा करने के बाद “सर्व धर्मान परित्यज्य, मामेकं शरणम्व्रज” का व्यावहारिक ग्यान निरूपित करते हैं.

38.हे उषा देवीके चंचल कलीके, युग्म के ललाट की पहली रेखा दे रहा हूं बधाई सानन्द, जन्मदिन की अभिलेखा 'प्रतीक्षा' केवल प्रतीक्षा का संगम, परिवर्तित हुआ इतना नववर्षकी रजनीमें,नव तुषारका सघन मिलन होता जितना जीवन तेरा स्वर्णमयी हो, बिखरा हो वसंत मधुमयी भाग्य सर्वदा मीत तुम्हारा, लाये उमंग हर पल नयी फ़ले फ़ुले जीवन की बगिया, नित फ़ुलोंका साज लिये सजे गीत जीवन में तेरे, नित नया झंकार लिये मै हूं आगन्तुक व्यक्ति, करता अभिलाषा सविशेष अर्पित शब्दोंकी पंखुरिया, “ मुन्नी” को मेरा मधुमय संदेश...

39.जन्मदिन की बहुत बहुत बधाई हे उषा देवीके चंचल कलीके, युग्म के ललाट की पहली रेखा दे रहा हूं बधाई सानन्द, जन्मदिन की अभिलेखा 'प्रतीक्षा' केवल प्रतीक्षा का संगम, परिवर्तित हुआ इतना नववर्षकी रजनीमें,नव तुषारका सघन मिलन होता जितना जीवन तेरा स्वर्णमयी हो, बिखरा हो वसंत मधुमयी भाग्य सर्वदा मीत तुम्हारा, लाये उमंग हर पल नयी फ़ले फ़ुले जीवन की बगिया, नित फ़ुलोंका साज लिये सजे गीत जीवन में तेरे, नित नया झंकार लिये मै हूं आगन्तुक व्यक्ति, करता अभिलाषा सविशेष अर्पित शब्दोंकी पंखुरिया, “ मुन्नी” को मेरा मधुमय संदेश...

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