परिणामत: एफडीआई पर आखिरकार सरकार का रुख नरम पड़ा और संसद मे गतिरोध टूटा. यू.पी.ए.-2 के अहम सहयोगी सपा, बसपा और डीमके जैसे दलो ने वर्तमान सराकार को बचाने हेतु भले ही सशर्त समर्थन देने की बात की हो परंतु आज़ादी के बाद से सत्ताधारी दलो के पास इससे ज्यादा रा(...)'
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करार का सशर्त समर्थन करने वाले पार्टी के इस वर्ग को इस बात पर और अधिक नाराजगी थी कि ये नेता इस बात को भूल गये कि करार का अंध विरोध पार्टी की इस पुरानी लाइन के साथ किसी तरह से भी मेल नही खाता था कि चीन की तुलना में अमेरिका के साथ संबंधों को बेहतर बनाये जाने की कोशिश की जानी चाहिये।
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परिणामत: एफडीआई पर आखिरकार सरकार का रुख नरम पड़ा और संसद मे गतिरोध टूटा. यू. पी. ए.-2 के अहम सहयोगी सपा, बसपा और डीमके जैसे दलो ने वर्तमान सराकार को बचाने हेतु भले ही सशर्त समर्थन देने की बात की हो परंतु आज़ादी के बाद से सत्ताधारी दलो के पास इससे ज्यादा राजनैतिक दिवालियापन अब तक देखने को नही मिला.