| 31. | ठाढ़ी सोचत साँच ही जीत्यो मैं इत आय ।
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| 32. | साँच बराबर तप नहीं, झूठ बराबर पाप,
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| 33. | जड़ जमीन मां जमा हरी है इहो साँच बा..
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| 34. | साँच के लोलुप मुंशी नहीं होते थे
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| 35. | जाके हिरदै साँच है ताके हिरदै आप॥
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| 36. | साँच बराबर तप नहीं, झूठ बराबर पाप ।
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| 37. | साँच को आँच क्या और आँच को बिसात क्या.
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| 38. | साँच को आँच नही, सब सामने है।
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| 39. | होवे दर गर उच्चतर, प्रेम रोग हैं साँच ।
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| 40. | लोकोपकारिता, दया, प्रेम हया औ साँच ।
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