| 31. | साक़ी की गरदन को सुराही समझ बैठा था।
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| 32. | कैसा होगा साक़ी, कैसा होगा मय और पैमाना
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| 33. | कोई तो होगा मेरा साक़ी कोई तो प्यास बुझायेगा
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| 34. | ठठ्ठा हँसी शराब सनम साक़ी इस सिवा
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| 35. | रस्ता दिखला देगा साक़ी घर जाने का
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| 36. | ऐसा साक़ी हो तो फिर देखिए रंगे-महफ़िल
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| 37. | जिसका सारा जीवन साक़ी को अर्पित है
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| 38. | जो साक़ी की भी पीने में तलबगारी रही तो
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| 39. | ताकि मिले आराम ज़रा मेरे साक़ी को
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| 40. | दीदार, वादा, हौला, साक़ी निगाह-ए-मस्त, बज़्म-ए-ख़याल मैक़दा-ए-बेखरोश है।
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