इस प्रकरण में मस्टर रोल में अंकित उन मजदूरों को साक्ष्य में पेश किया गया हैं तथा इनमें से पी. डब्ल्यू. 9 मानाराम, पी. डब्ल्यू. 10 श्रीमति सजना को पक्षद्राही घोषित करवाया गया हैं तथा इन दोनों का कहना हैं कि उन्होंने ग्राम पंचायत मोरी के तहत कोई मजदूरी कार्य स्कूल निमार्ण में नही किया।
32.
यह बात प्रदर्श-क-10 नक्शा नजरी से भी सिद्व है मगर अभियोजन पक्ष द्वारा कोई स्वतन्त्र जनसाक्षी नहीं लिया गया न साक्ष्य में पेश किया गया यहॉ तक कि पी0डब्ल्यू0-4 पुलिस उपाधीक्षक प्रकाश चन्द्र आर्य द्वारा अपनी प्रतिपरीक्षा में स्वीकार किया गया कि हम पुलिसवालों ने आसपास से कोई गवाह बुलाने का प्रयास नहीं किया गया।
33.
इस प्रकार अभियोजनपक्ष द्वारा इस मामले में पी0डब्ल्यू0-2 राम सिह को चश्मदीद गवाह मानकर साक्ष्य में पेश किया गया है मगर इस साक्षी के व्यवहार के आधार पर इस साक्षी को घटना का चश्मदीद साक्षी नहीं माना जा सकता है इस प्रकार जैंसा कि इस सम्बन्ध मे पूर्व में विस्तार पूर्वक विश्लेषण किया जा चुका है।
34.
जबकि कु0 सोनी बचपन से ही मौहल्ले में रहती है, जिससे दोनों ही गवाहान के बयानात से कथित घटना कारित होना साबित नहीं है तथा क्या गाली-गलौच किया, के संबंध में भी कोई स्पष्ट शब्दों का उल्लेख नहीं किया गया है और न ही जनता के किसी भी स्वतंत्र साक्षी को साक्ष्य में पेश किया गया है।
35.
परन्तु दो विशेषज्ञ प्रकाशलाल माथुर अधीशासी अभियन्ता एवं चैनाराम कनिष्ठ अभियन्ता को साक्ष्य में पेश किया गया हैं तथा गॉव के अन्य व्यक्ति पी. डब्ल्यू. 25 फूलसिंह व पी. डब्ल्यू. 26 हरीसिंह को साक्ष्य में पेश किया गया हैं जो निष्पक्ष गवाह हैं तथा उन्होने स्पष्ट साक्ष्य दी हैं कि सीमेन्ट का प्रयोग नही किया गया हैं।
36.
परन्तु दो विशेषज्ञ प्रकाशलाल माथुर अधीशासी अभियन्ता एवं चैनाराम कनिष्ठ अभियन्ता को साक्ष्य में पेश किया गया हैं तथा गॉव के अन्य व्यक्ति पी. डब्ल्यू. 25 फूलसिंह व पी. डब्ल्यू. 26 हरीसिंह को साक्ष्य में पेश किया गया हैं जो निष्पक्ष गवाह हैं तथा उन्होने स्पष्ट साक्ष्य दी हैं कि सीमेन्ट का प्रयोग नही किया गया हैं।
37.
अधिकारी कार्यालय के अधिकारीगण एवं सहायक जिला शिक्षा अधिकारी, वरिष्ठ लिपिक को साक्ष्य में पेश किया गया हैं तथा इन्होने रिकार्ड पर उपलब्ध दस्तावेजी साक्ष्य के बारे में साक्ष्य देते हुये बताया हैं कि अभियुक्त रामकिशोर दिनांक 15.5.95 से 30.6.96 तक जिला शिक्षा अधिकारी, जैसलमेर रहा तथा वो सभी रामकिशोर की लिखावट व हस्ता क्षरों से परिचित हैं।
38.
उनका आगे यह भी तर्क हैं कि जिस बनिये को मांग के सत्यापन के समय 200 /-रूपये परिवादी द्वारा दिये जाने का कथन किया गया हैं उसका न तो नाम बताया गया हैं और न ही उसे साक्ष्य में पेश किया गया हैं यह बात इस प्रकरण में की गई मांग को सम्पूर्ण रूप से अविश्वसनीय बनाती है।
39.
सफाई पक्ष में अभियुक्त द्वारा डी. डब्ल्यू. 1 श्रीमति पूनम हरण को साक्ष्य में पेश किया गया हैं जिसका कथन हैं कि दिनांक 4.11.2001 को रविवार के दिन 10 बजे खेताराम ने उसके घर पर आकर दिनेशहरण के बारे में पूछा तथा यह कहा था कि जब दिनेशहरण आवे तो उसे मेरी दुकान भाटकडा भेज देना रजिस्ट्री का काम हैं।
40.
इन में से डी ड 1 हरीराम व डी ड 2 भल्लाराम उर्फ भीयाराम को साक्ष्य में पेश किया गया हैं तथा इन दोनों गवाहों ने सफाई पक्ष की कहानी का अनुमोदन करते हुये बताया हैं कि परिवादी ने जबरदस्ती जब परिवादी की जेब में पैसे डालने चाहे तो अभियुक्त पूर्णाराम ने उसके हाथ पर फटकार लगाई जिससे रू पये गली में गिर गये।