छत्तीसगढ़ से छोटे व कम साधनसंपन्न राज्य जैसे बिहार,, मणिपुर, मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश की सरकारें सहित अन्य 15 राज्यों की सरकारें भी अपने पुलिस निरीक्षकों को 6500-10500 का वेतनमान देती हैं ।
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न्यायिक प्रक्रियाएं यहां इस बुरी तरह सुस्त हैं कि किसी साधनसंपन्न व्यक्ति को जल्दी सजा दिलाना संभव ही नहीं होता और उनमें कुछ तो अपील के सारे मौके गंवाए बगैर बूढ़े होकर मर जाते हैं।
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न्यायिक प्रक्रियाएं यहां इस बुरी तरह सुस्त हैं कि किसी साधनसंपन्न व्यक्ति को जल्दी सजा दिलाना संभव ही नहीं होता और उनमें कुछ तो अपील के सारे मौके गंवाए बगैर बूढ़े होकर मर जाते हैं।
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समाज के साधनसंपन्न लोग उत्पादन प्रक्रियाओं के मानसिकतः पहलू पर अपना आधिपत्य और एकाधिकार बनाए रखने की कोशिश करते हैं, ताकि बाकियों को हेय शारीरिक श्रम में लगाए रखा जा सके और वे उससे बचे रह सकें।
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एल ए आर पी एम एवं ए आर एस टी पी एस के प्रवर्तक मॉडल 03 घटकों के साथ प्रभावित है जैसे-उद्योग आवशयकताओं को उपौक़्तता, परिणाम-अभिविन्यस्त उत्पाद, “उत्कृष्ट केन्द्र” के रूप में साधनसंपन्न आधार ।
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ट्यूब सम्मेलन में इस बात पर सर्वसम्मति व्यक्त की गई कि डिजिटल क्रांति का लक्ष्य विभिन्न महाद्वीपों के साधनहीन और साधनसंपन्न वर्ग के बीच सेतु की भूमिका निभाना होना चाहिए ने कि उनके बीच की खाई को और गहरा करना.
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ऐसा लगता था कि लौरेंज़ो डाज़् साधनसंपन्न व्यक्ति थे, क्योंकि वह कोई काम-धाम नहीं करते थे लेकिन फिर भी उन्होंने इस घर के लिए बड़ी कीमत नगद चुकाई थी और उसको रहने लायक बनाने में उससे भी अधिक पैसे खर्च कर रहा था।
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जैसे एक आर्थिक रूप से कमतर परिवार का किसी साधनसंपन्न व्यक्ति द्वारा मजाक उड़ाया जाना, निम्नवर्गीय कामगारों के लिए किसी का आवाज उठाना और इस वजह से मजाक का पात्र बन जाना, सचाई की राह में दुष्ट व भ्रष्ट लोगों द्वारा बाधाएँ डालना तथा भरोसे व विश्वास को तोड़ने का काम करना।
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अब यह भी होता है कि ये सभी जहां है, वे व्यक्ति, उनका चरित्र अवचेतन-चेतन रूप से उसके मस्तिष्क में आदर्शों के मानदंड़ के रूप में स्थापित होता रहता है (इसी से यह भी समझा जा सकता है कि क्यों प्रभुत्वशाली शासक, साधनसंपन्न वर्गों के दृष्टिकोण और मानदंड आम चेतना का हिस्साबनते जाते हैं)।
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अब यह भी होता है कि ये सभी जहां है, वे व्यक्ति, उनका चरित्रअवचेतन-चेतन रूप से उसके मस्तिष्क में आदर्शों के मानदंड़ के रूप में स्थापित होता रहता है (इसी से यह भी समझा जा सकता है कि क्यों प्रभुत्वशाली शासक, साधनसंपन्न वर्गों के दृष्टिकोणऔर मानदंड आम चेतना का हिस्सा बनते जाते हैं) ।