अरे तो का नारद संचालक (समूह) (सामूहिक निर्णय) ई कह सकता है का, ‘ कि चिट्ठेवे खतम कर दो? ' औ छुआछूत व्यक्तिगत आचार है कि सामाजिक बीमारी? कई सनातनी ई मानें कि छुआछूत निजी मामला है | गाँधी काहे बीच में पड़ता है?
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प्रख्यात गाँधीवादी विचारक एवं गाँधी स्मृति दर्शन की अध्यक्ष तारा गाँधी का मानना है कि गाँधी के आदर्श एवं मूल्यों की बदौलत हमने अंग्रेजों के खिलाफ आजादी की इतनी बड़ी लड़ाई जीत ली और समाज से छुआछूत और अस्पृश्यता जैसी कुरीतियों को मिटाने में सफल रहे तो फिर महात्मा गाँधी के दर्शन एवं सिद्धांतों के सहारे हम रैगिंग जैसी घातक सामाजिक बीमारी को स्कूल, कालेजों और विश्वविद्यालयों से क्यों नहीं मिटा सकते।