एक व्यक्ति, एक मूल्य, सामाजिक-लोकतंत्र का आधार बिंदु है और सामाजिक लोकतंत्र को संवैधानिक तरीकों से ही प्राप्त किया जा सकता है।
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डा. आम्बेडकर राजनीतिक और सामाजिक लोकतंत्र को अलग-अलग करके नहीं देखते थे, बार-बार उन्होंने इस बात को रेखांकित किया है।
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जब तक राजनीतिक लोकतंत्र की बुनियाद में सामाजिक लोकतंत्र स्थित नहीं होगा तब तक राजनीतिक लोकतंत्र की इमारत स्थिर और टिकाऊ नहीं हो सकती।
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वस्तुतः लोकतंत्र मात्र चुनावों द्वारा स्थापित राजनीतिक प्रणाली तक ही सीमित नहीं है बल्कि सामाजिक लोकतंत्र, आर्थिक लोकतंत्र जैसे भी इसके कई रूप हैं।
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अर्थव्यवस्थाएँ औद्योगीकृत हो गईं, राष्ट्र-राज्य अस्तित्व में आए, सामाजिक लोकतंत्र का उदय हुआ, राष्ट्रीय ब्यूरोक्रेसी उभरी और दुनिया ने जन समाज के दर्शन किए।
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8 डा. आम्बेडकर मानते थे कि जब तक समाज में आर्थिक और सामाजिक लोकतंत्र न हो तो राजनीतिक लोकतंत्र सफल नहीं हो सकता।
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जिस तरह अतीत में सामाजिक लोकतंत्र ने मार्क्सवाद की जगह ली है उसी तरह से गरिमा की अर्थव्यवस्था प्रचलित उदारवाद से आगे जाती है।
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यूरोप के मार्क्सवादियों की जब निरंकुश दमनकारियों के तौर पर पोल-पट्टी खुल गई, तो वो बड़ी बेशर्मी से सामाजिक लोकतंत्र के समर्थक बन गए।
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सूरजमुखी अक्सर हरी विचारधारा के प्रतीक के रूप में इस्तेमाल किया जाता है, उसी तरह जैसे लाल गुलाब समाजवाद या सामाजिक लोकतंत्र का प्रतीक है।
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वस्तुतः लोकतंत्र मात्र चुनावों द्वारा स्थापित राजनीतिक प्रणाली तक ही सीमित नहीं है बल्कि सामाजिक लोकतंत्र, आर्थिक लोकतंत्र जैसे भी इसके कई रूप हैं।