यह अलग बात है कि ब्लॉग से लेकर लघुकथा के सौन्दर्य शास्त्र की रचना कर कुछ लोग स्वयं को झंडाबरदार और मसीहा कहलवाने की नाकाम कोशिश कर रहे हैं, उनकी नियति और फितरत दोनों ही साफ नहीं हैं, जो युगल की कभी आदत नहीं बनी। '.... जैसी टिप्पणियों का क्या अर्थ हो सकता? मुझे लगता है इस सामान्य टिप्पणी में लघुकथा के व्यापक प्रभाव और विकास के लिए सकारात्मक और समर्पित रूप से काम कर रहे तमाम अग्रणी लोगों के बारे में भी नकारात्मक संदेश ध्वनित होता है।