सामान्य बालक जन्म के पश्चात आ, ऊ इस तरह से रोता है, शिशुपाल जन्म के पश्चात सबसे पहले जो शब्द उनके मुख से निकले कृष्ण के प्रति गाली, इतना द्वेष उनके ह्र्दय में कूट कूट कर भरा हुआ था।
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वो बोला रजा यह कोई सामान्य बालक नहीं है यह तो बड़ा चक्रवर्ती होगा या तो भगवन स्वरूप बनेगा! बहोत खुश होते यह वर्णन करते और यह कहते कहते थोड़ी देर में पंडित रोने लगा!किन्तु थोड़े समय बाद पंडित का पुत्र वहा आया ।
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यदि चाणक्य एक सामान्य बालक को चंद्रगुपत मौर्य बना सकते थे, तो उन्हीं प्रयत्नों द्वारा मैं क्यों बालक शिवा में उन योग्यताओं का विकास नहीं कर सकता? सत्य से संचालित प्रयत्नों में अमोघ शक्ति रहती है और जन-कल्याण की ज्वलंत भावनाओं में अनंत संभावनाएँ।