| 31. | सायुज्य-भक्त भगवान मे लीन होकर आनंद की अनुभूति करता हैं।
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| 32. | इस सायुज्य मुक्ति की अवस्था में जीव की पृथक सत्ता नहीं रहती।
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| 33. | इस सायुज्य मुक्ति की अवस्था में जीव की पृथक सत्ता नहीं रहती।
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| 34. | इनका सायुज्य नर और मादा के मिलकर संभोग करने से होता है।
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| 35. | श्री वल्लभ ने बताया कि गोलोकस्थ श्रीकृष्ण की सायुज्य प्राप्ति ही मुक्ति है।
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| 36. | फिर उसी के पुण्य से उन्होंने श्री विष्णु का सायुज्य प्राप्त कर लिया।
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| 37. | मुक्तिके ४ प्रकार हैं-सालोक्य, सामीप्य, सारूप्य व सायुज्य ।
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| 38. | इस लोक में सुख भोगकर व्यक्ति अन्त में शिव सायुज्य को प्राप्त करता है।
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| 39. | अम्बरीष आपमें पहले से भी अधिक अनुरक्त हो गये और आपका सायुज्य प्राप्त किया।
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| 40. | इस लोक में सुख भोगकर व्यक्ति अंत में शिव सायुज्य को प्राप्त करता है।
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