जहाँ मैट्रिक्स के अवयव पूर्णतः लिखे हों, तो संगत सारणिक को दिखने के लिए बड़ा कोष्टक या पैरेन्थेसेस के स्थान पर दो ऊर्ध्व रेखाओं से घेर दिया जाता है।
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इसका अर्थ यह हुआ कि इसका सारणिक (determinant) शून्य होगा और इसका व्युत्क्रम नहीं निकाला जा सकता) इस प्रकार फलन det(λ I − A) के मूल, A के आइगनमानों के बराबर होंगे।
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(5) 'सारणिक का शून्यमान'-यदि किसी सारणिक के एक स्तंभ के अवयव किसी अन्य स्तंभ के अवयवों से क्रमानुसार एक ही अनुपात में हों तो सारणिक का मान शून्य होता है।
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(5) 'सारणिक का शून्यमान'-यदि किसी सारणिक के एक स्तंभ के अवयव किसी अन्य स्तंभ के अवयवों से क्रमानुसार एक ही अनुपात में हों तो सारणिक का मान शून्य होता है।
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इन राशियों को प्राय: एक वर्गाकार विन्यास में लिखकर उसे अगल-बगल दो ऊर्ध्वाधर सीधी रेखाएँ खींच दी जाती है, n अवयवों वाले सारणिक को nवें क्रम (nth order) का सारणिक कहते हैं।
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इन राशियों को प्राय: एक वर्गाकार विन्यास में लिखकर उसे अगल-बगल दो ऊर्ध्वाधर सीधी रेखाएँ खींच दी जाती है, n अवयवों वाले सारणिक को nवें क्रम (nth order) का सारणिक कहते हैं।
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आज बीजगणित में केवल समीकरणों का ही समावेश नहीं होता, इसमें बहुपद, सतत भिन्न, अनंत गुणनफल, संख्या अनुक्रम, रूप, सारणिक, श्रेणिक आदि अनेक प्रकरणों का अध्ययन किया जाता है।
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(2) सारणिक का किसी राशि से गुणा करना-सारणिक के किसी एक स्तंभ के सभी अवयवों को राशि क से गुणा करने का परिणाम सारणिक के मान को क से गुणा करना है।
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(2) सारणिक का किसी राशि से गुणा करना-सारणिक के किसी एक स्तंभ के सभी अवयवों को राशि क से गुणा करने का परिणाम सारणिक के मान को क से गुणा करना है।
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(2) सारणिक का किसी राशि से गुणा करना-सारणिक के किसी एक स्तंभ के सभी अवयवों को राशि क से गुणा करने का परिणाम सारणिक के मान को क से गुणा करना है।