सिंधी की एक बहुत बड़ी विशेषता है उसके सार्वनामिक अंत्यय जो संज्ञा और क्रिया के साथ संयुक्त किए जाते हैं, जैसे पुट्रऊँ (हमारा लड़का), भासि (उसका भाई), भाउरनि (उनके भाई) ; चयुमि (मैंने कहा), हुजेई (तुझे हो), मारियाई (उसने उसको मारा), मारियाईमि (उसने मुझको मारा) ।
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संज्ञा की भांति कुमाउंनी में विशेषण दो वचनों व लिंगो से प्रयुक्त होते हैं कुमाउंनी में विशेषण निम्न प्रकार से पाए जाते हैं १-गुणवाचक विशेषण २-प्रणाली वाचक विशेषण ३-परिमाण वाचक विशेषण ४-संख्यावाचक विशेषण ५-सार्वनामिक विशेषण कुछ विशेषण रूपान्तरयुक्त होते हैं व शेष रूपांतर मुक्त होते हैं १-कुमाउंनी में गुणवाचक विशेषण १ अ-रूपांतरमुक्त गुण वाचक विशेषण रूपांतरमुक्त गुण वाचक विशेषण मूल प्रतिवादक व व्युत्पुन प्रतिपादक दोनों होते