शकलदीप बाबू कुछ देर तक आँखों को साश्चर्य फैलाकर अपने लड़के को देखते रहे, जैसे किसी आनंददायी रहस्य का उन्होंने अचानक पता लगा लिया हो।
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विश्वामित्र: (विश्वामित्र साश्चर्य मुद्रा ग्रहण करते हुए, स्वगत) इस परीक्षा में यह अभी तक स्वयं को संभाले रहा, लेकिन मैं भी विश्वामित्र हूँ, मजा चखा दूँगा।
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' ' वृद्ध ने साश्चर्य युवक को देखा और कहा, '' अभी वन कहां समाप्त हुआ है? '' युवक ने कहा, '' वन तो नहीं भय समाप्त हो गया है।
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आपने इस शती के तीसरे दशक में जब सरस्वती में लेख लिखना प्रारम्भ किया तब आचार्य द्दिवेदी ने साश्चर्य जिज्ञासा की थी कि हिन्दी की यह नवीन उदीयमान प्रतिभा कौन है?
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हम भय के बाहर हो गये हैं।” वृद्ध ने साश्चर्य युवक को देखा और कहा, “अभी वन कहां समाप्त हुआ है?” युवक ने कहा, “वन तो नहीं भय समाप्त हो गया है।
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विश्वामित्र: (विश्वामित्र साश्चर्य मुद्रा ग्रहण करते हुए, स्वगत) इस परीक्षा में यह अभी तक स्वयं को संभाले रहा, लेकिन मैं भी विश्वामित्र हूँ, मजा चखा दूँगा।
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धनवान ने आचार्य के हाथ में जूता देखकर साश्चर्य पूछा-भंते! इस पावन-प्रसंग पर आफ हाथ में जूता? आचार्य ने कहा-हां, यह जूता अपावन नहीं, परम पावन है।
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' ' भगवती ने साश्चर्य कहा, ‘‘ यह आप क्या कहते हैं, प्रभो! हम दोनों पृथक हैं क्या? आप ने सुना होगा कि उन्होंने प्रायः प्रत्येक पद में मेरे साथ आपके नाम का भी उच्चारण किया है।
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कौसानी के बारे में 11 जुलाई 1929 के यंग इंडिया में महात्मा गांधी ने लिखा था, मैं साश्चर्य सोचता हूं कि इन पर्वतों के दृश्यों व जलवायु से बढकर होना तो दूर रहा, बराबरी भी संसार का कोई अन्य स्थान नहीं कर सकता।
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कौसानी के बारे में 11 जुलाई 1929 के यंग इंडिया में महात्मा गांधी ने लिखा था, मैं साश्चर्य सोचता हूं कि इन पर्वतों के दृश्यों व जलवायु से बढकर होना तो दूर रहा, बराबरी भी संसार का कोई अन्य स्थान नहीं कर सकता।