| 31. | रात चली रोती-रोती इस धरती का सिंगार कर
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| 32. | १७५. का पर कर्रूँ सिंगार पिया मोर आन्हर।
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| 33. | अपने ही बनाव सिंगार में भूला रहता,
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| 34. | लुट गये सिंगार सभी बाग़ के बबूल से,
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| 35. | सिंगार के होते हैं ये बहार के दिन।
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| 36. | सिंगार क्यों सहम गया बहार क्यों लजा गई?
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| 37. | अच्छी लगती हैं। ' राम सिंगार भाई टालते रहे।
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| 38. | एक चतुर नार करके सिंगार...फ़िल्म ;; पडोसन
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| 39. | पर राम सिंगार भाई सहज नहीं हो पाते।
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| 40. | मैं तो कर आऊँ सोलह सिंगार रे-२
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