यह संस्थान सिविल इंजीनियरी, विद्युत इंजीनियरी, अभियांत्रिकी इंजीनियरी, कम्प्यूटर विज्ञान इंजीनियरी, इलैक्ट्रानिकी इंजीनियरी, उत्पादन और औद्योगिकी इंजीनियरी, रसायन इंजीनियरी, जैव प्रौद्योगिकी इंजीनियरी और सूचना प्रौद्योगिकी जैसे विषेयों में चार वर्षीय अवर स्नातक पाठयक्रम चलाता है।
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यह संस्थान सिविल इंजीनियरी, रसायन इंजीनियरी, विद्युत इंजीनियरी, इलैक्ट्रॉनिकी तथा संचार इंजीनियरी, सूचना प्रौद्योगिकी, अभियांत्रिकी इंजीनियरी तथा धातुकर्मीय इंजीनियरी में चार वर्षीय अवर स्नातक पाठयक्रमों और एक पांच वर्षीय बी. आर्क. पाठयक्रम का संचालन करता है।
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मृदा यांत्रिकी तथा नींव अभियांत्रिकी क्षेत्र तथा प्रयोगशाला मृदा अन्वेषण अर्थात मृदा तथा निर्माण सामग्री के लक्षण-वर्णन के लिए विभिन्न नदी घाटी परियोजनाओं तथा सिविल इंजीनियरी संरचनाओं के खनित क्षेत्र तथा नींव को लिया जाता है ।
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इसके बाद जब इसका उपयोग असैनिक कार्यों (सड़क, पुल, भवन आदि का निर्माण) के लिये होने लगा तो नयी शाखा का नाम पड़ा-‘ सिविल इंजीनियरी ' (असैनिक इंजीनियरी) ।
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मृदा यांत्रिकी तथा नींव अभियांत्रिकी क्षेत्र तथा प्रयोगशाला मृदा अन्वेषण अर्थात मृदा तथा निर्माण सामग्री के लक्षण-वर्णन के लिए विभिन्न नदी घाटी परियोजनाओं तथा सिविल इंजीनियरी संरचनाओं के खनित क्षेत्र तथा नींव को लिया जाता है ।
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अत्याधुनिक उपकरणों तथा प्रशिक्षित कार्मिकों से लैस केमृसाअशा, मौजूदा हाइड्रोलिक तथा अन्य सिविल इंजीनियरी संरचनाओं के सुरक्षा मूल्यांकन के अतिरिक्त, बांधों, पुलों, बहुमंजिला इमारतों, नाभिकीय तथा तापीय शक्ति केन्द्रों के अन्वेषण का कोई भी चुनौतीपूर्ण कार्य कर सकती है।
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यह संस्थान सिविल इंजीनियरी, रसायन इंजीनियरी, विद्युत तथा इलैक्ट्रॉनिकी इंजीनियरी, इलैक्ट्रॉनिकी तथा संचार इंजीनियरी, अभियांत्रिकी इंजीनियरी, उत्पादन इंजीनियरी तथा प्रबंधन, कम्प्यूटर विज्ञान तथा इंजीनियरी, सूचना प्रौद्योगिकी में चार वर्षीय अवर स्नातक पाठयक्रम और वी.आर्क. में पांच वर्षीय पाठयक्रम संचालित संचालित करता है।
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स्नातकोत्त्ार अनुसंधान कार्यक्रम का उद्देश्य उद्योग, अनुसंधान एवं शैक्षणिक क्षेत्रों में नेतृत्व की भूमिका ग्रहण करने के लिए छात्रों की चयनित संख्या को उचित शैक्षणिक एवं इंजीनियरी शंसाओं के साथ सिविल इंजीनियरी में अति कुशल व्यावसायिकों के रूप में प्रशिक्षण देना है ।
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संरचना इंजीनियरी 19वीं शताब्दी तक सिविल इंजीनियरी का एक विभाग समझा जाता था, परन्तु जैसे-जैसे सभ्य समाज की आवश्यकताएँ परिस्थितियों के अनुसार बदलती और बढ़ती गई, उन्नत प्रकार के लोहे, इस्पात आदि का उत्पादन तथा प्रयोग बढ़ने लगा, वैसे-वैसे यंत्र-विज्ञान की उन्नति हुई।
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संरचना इंजीनियरी 19वीं शताब्दी तक सिविल इंजीनियरी का एक विभाग समझा जाता था, परन्तु जैसे-जैसे सभ्य समाज की आवश्यकताएँ परिस्थितियों के अनुसार बदलती और बढ़ती गई, उन्नत प्रकार के लोहे, इस्पात आदि का उत्पादन तथा प्रयोग बढ़ने लगा, वैसे-वैसे यंत्र-विज्ञान की उन्नति हुई।