आदरणीय मामाजी आपका ये पत्र पढ़कर मुझे ऐसा लगा की मुझे भी अपनी समस्याएं पत्र में लिखकर भगवान तक पहुंचानी पड़ेगी जिससे की बच्चों का बचपन सुखद रूप से बीते और पढाई उनकी समस्या ना बनकर रूचि बन जाये और टीचर यानी गुरु बच्चों के दुश्मन ना हो कर दोस्त बन जाएँ क्यूंकि आज के जमाने में बच्चों को सहनशील गुरुओं की बहुत आवश्यकता है.