इस काव्य में उन्होंने संदेश दिया है कि चाहे धर्म धोखा दे या पुण्य ज्वाला बन जाए, लेकिन “मनुष्य तब भी न कभी सुपथ से टल सकता है।
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यह जान लें कि गलतियों की कोख से सफलता का सूत्र निकलता है जो सदैव सुपथ पर अग्रसर करता है और प्रतिफल में सदैव सफलता का वरदान देता है।
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किन्तु इस पठन-पाठन और श्रवण से हमारे जीवन की अशुद्धियों से शुचिता की ओर अग्रसर होने की राह अवश्य खुलती है, सुपथ पर कुछ प्रगति तो होती ही है ।
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किन्तु इस पठन-पाठन और श्रवण से हमारे जीवन की अशुद्धियों से शुचिता की ओर अग्रसर होने की राह अवश्य खुलती है, सुपथ पर कुछ प्रगति तो होती ही है ।
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नियमितता के चलते एक योजनाबद्ध होकर नियत क्रम से व्यवस्थित दिनचर्या रखने से क्रमिक विकास के संग उन्नति पथ प्रशस्त होने के साथ-साथ उसके उच्च शिखर तक पहुंचने का सुपथ मिलता है।
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उन्मना दीप की सुज्वाल में शलभ राख जा बना उडुगनों की ज्योति से न हट सका कुहुर घना सृष्टिक्रम उलझ सुलझ खो रहा है ज़िन्दगी नियति खोजती सुपथ बढ़ रही है उन्मना!
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नियमितता के चलते एक योजनाबद्ध होकर नियत क्रम से व् यवस्थित दिनचर्या रखने से क्रमिक विकास के संग उन् नति पथ प्रशस् त होने के साथ-साथ उसके उच् च शिखर तक पहुंचने का सुपथ मिलता है।
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गौतम balloon title = “ गौतम धर्मसूत्र 2. 1.7-8 ” style = color: blue > * / balloon > के अनुसार प्राणिमात्र की रक्षा करना तथा न्यायपूर्वक दण्ड देकर प्रजा को सुपथ में रखना राजा का कर्त्तव्य है।
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जो भावनावान भावुक जन, भागवती भक्ती-भागीरथी में स्नान करने के इच्छुक हैं, जो भक्ती धर्म के मर्म को जानना चाहते हैं, और जो भक्ती योग के सच्चे, सरल, सरस, सुपथ पर चलने के अभिलाषी हैं उनको स्वामी सत्यानन्द-रचित, भक्ती-प्रकाश ग्रन्थ सुमननपूर्वक पढना चाहिए
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जो भावनावान भावुक जन, भागवती भक्ती-भागीरथी में स्नान करने के इच्छुक हैं, जो भक्ती धर्म के मर्म को जानना चाहते हैं, और जो भक्ती योग के सच्चे, सरल, सरस, सुपथ पर चलने के अभिलाषी हैं उनको स्वामी सत्यानन्द-रचित, भक्ती-प्रकाश ग्रन्थ सुमननपूर्वक पढना चाहिए विषय सूची