इस अध्याय में घटित छोटी-छोटी घटनाएँ वासुदेव, अर्जुन, देवकी, सोहनसिंह, शेखर, सुभगा जैसे चरित्रों एवं उनकी प्रवृत्तियों तथा उनमें आते मानसिक परिवर्तन 1857 की कालावधि को जीवंत करते हैं।
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फाँसी पर लटके हु े अर्जुन के समक्ष ही जिन्हों ने देशमुक्ति के लिए जंग की प्रतिज्ञा की है ऐसी नरसिंगपुर की महारानी देवकी और वासुदेव के साथ रही हुई उसकी पालक पुत्री सुभगा भी युद्ध में सम्मिलित हुई है।
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उन दोनों के नाम भी मैं तुम्हें बतलाता हूँ॥23॥उनमें पुरुष के नाम विष्णु, कृष्ण, हृषीकेश, वासुदेव और जनार्दन हुए तथा स्त्री उमा, गौरी, सती, चण्डी, सुन्दरी, सुभगा और शिवा-इन नामों से प्रसिद्ध हुई॥24॥ इस प्रकार तीनों युवतियाँ ही तत्काल पुरुषरूप को प्राप्त हुई।
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उन दोनों के नाम भी मैं तुम्हें बतलाता हूँ॥23॥उनमें पुरुष के नाम विष्णु, कृष्ण, हृषीकेश, वासुदेव और जनार्दन हुए तथा स्त्री उमा, गौरी, सती, चण्डी, सुन्दरी, सुभगा और शिवा-इन नामों से प्रसिद्ध हुई॥24॥ इस प्रकार तीनों युवतियाँ ही तत्काल पुरुषरूप को प्राप्त हुई।
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जिसे हिन्दू धर्मग्रंथों मेँ वैष्णवी, वृन्दा, सुगंधा, गंधहारिणी, अमृता, पत्रपुष्पा, पवित्रा, श्र्वल्लरी, सुभगा, तीब्रा, पावनी, विष्णुबल्लभा, माधवी, सुरवल्ली, देवदुंदुभी, विष्णुपत्नी, मालाश्रेष्टा, पापघ्नी, लक्ष्मी, श्री-कृष्ण वल्लभा, आदि कई नामो से वर्णित किया गया है।
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शेखर इस आदर्श के साथ एवं मानवार्म का विचार लेकर विद्रोह में सम्मिलित हुए है और इसीलिए नालदुर्ग में आक्रमण के समय देवकी और सुभगा को आग से बचाने वाले डेनियल को तात्या टोपे गिरफ्तार करते हैं और दूसरे दिन उसे फाँसी की सजा दी जाएगी ऐसा मानकर वह डेनियल को भगा देते है।
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उन दोनों के नाम भी मैं तुम्हें बतलाता हूँ॥ 23 ॥उनमें पुरुष के नाम विष्णु, कृष्ण, हृषीकेश, वासुदेव और जनार्दन हुए तथा स्त्री उमा, गौरी, सती, चण्डी, सुन्दरी, सुभगा और शिवा-इन नामों से प्रसिद्ध हुई॥ 24 ॥ इस प्रकार तीनों युवतियाँ ही तत्काल पुरुषरूप को प्राप्त हुई।