उन्होंने आगे कहा कि दुख होता है परसों-तरसों जब सूखा क्षेत्र की लिस्ट जारी हुई थी उसमें बिहार का नाम नहीं था पता नहीं बिहार के साथ केन्द्र की सरकार क्यों सौतेला व्यवहार कर रहा है।
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उन्होंने आगे कहा कि दुख होता है परसों-तरसों जब सूखा क्षेत्र की लिस्ट जारी हुई थी उसमें बिहार का नाम नहीं था पता नहीं बिहार के साथ केन्द्र की सरकार क्यों सौतेला व्यवहार कर रहा है।
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मेराल प्रखंड को सूखा क्षेत्र घोषित करने तथा विगत वर्ष की फसल बीमा राशि का भुगतान सुनिश्चित कराने जैसी पांच सूत्री मांग को लेकर राजद कार्यकर्ताओें ने मंगलवार को प्रखंड कार्यालय पर प्रदर्शन किया व धरना दिए।
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60, 000 करोड़ रुपये का कृषि ऋण राहत पैकेज लघु और सीमांत किसानों के सारे ऋण माफ जिससे चार करोड़ किसानों को लाभ वर्ष 2008-09 में 2,80,000 करोड़ रुपये के कृषि ऋण दिए जाएंगे अल्पकालीन फसल ऋण 7 प्रतिशत ब्याज पर जारी सिंचाई और जल संसाधन वित्त निगम की स्थापना होगी सूखा क्षेत्र विकास कार्यक्रम की शुरुआत होगी
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संवेदनशील सरकार बोली-चिंता क्यों करते हो, दो साल से बारिश नहीं आयी, इस साल भी नहीं आएगी तो अगले साल इस क्षेत्र को असिंचित सूखा क्षेत्र घोषित कर देंगे और फिर इस जमीन का अधिग्रहण, फिर देखना तुम सब कैसे लखपति बनते हो, फिर तुम्हारी जमीन पर लगेगा बड़ा सा कारखाना, राष्ट्रीय राजमार्ग और बड़े बड़े शापिंग माल आदि..
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बजट में उन्होनें ऋणग्रस्तता के अध्ययन हेतु डा. आर. राधाकृष्ण समिति का गठन, दलहन के लिए मिशन, सूखा क्षेत्र विकास कार्यक्रम के लिए 100 करोड़ रुपये, भूमिगत जल प्रबंधन हेतु 1800 करोड़ रुपये तथा आल्मा को 300 जिलों में आच्छादित करने हेतु 230 करोड़ रुपये ; कृषि बीमा के लिए 500 करोड़ रुपये एवं अन्य मदो हेतु वित्तीय प्रावधान किये।
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पोलियो की दवा पिलाने की ड्यूटी, कभी ट्रेनिग आए दिन चुनावो का काम और भी कई तरह के काम होते जन्हें पूरा करना पड़ता है, इन सबमे पढाई गौण हो जाती है, और सरकारी शिक्षक और स्कूल की हालत बेहद खराब है ऐसा हर नागरिक सोचने लगता है गर्मी की छुट्टियों में मध्यान भोजन का क्या ओचित्य है? वो भी सूखा क्षेत्र मे.......