बंबई में विशेष रूप से महत्वपूर्ण सूती वस्त्र उद्योग में 19 अगस्त, 2003 शताब्दी, लेकिन यह उद्योग का अब कम महत्वपूर्ण हैं ।
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सूती वस्त्र उद्योग की शुरूआत दामोदर दास द्वारा 1889 में ब्यावर में द कृष्णा मिल स्थापित करके की गई थी (19 वीं शताब्दी का अंतिम दषक)।
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अन्त में समिति ने यह भी कहा कि सूती वस्त्र उद्योग कोप्राथमिक उद्योग की सूची में रखा जाए तथा सरकार को विलीनीकरण के लिएउद्योगपतियों की सदभावना, सहयोग एवं विश्वास प्राप्त करना चाहिए.
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इसी आस-पास कानपुर में चमड़ा और सूती वस्त्र उद्योग के मज़दूरों ने हड़ताल की और प्रबंधन से मज़दूरी दर बढ़ाने, काम के तौर-तरीकों को बेहतर बनाने तथा मुनाफ़े में हिस्सेदारी की मांग की।
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मुम्बई लंबे समय से भारत के सूती वस्त्र उद्योग के केंद्र के रूप में विख्यात रहा है, लेकिन अब यहाँ विविध निर्माण उद्योग भी हैं और इसके वाणिज्यिक व वित्तिय संस्थान सशक्त और सबल हैं।
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चीनी उद्योग, सूती वस्त्र उद्योग, वनस्पति घी उद्योग, चमड़ा उद्योग आदि आदि में अपनी पूरी धाक रखते हुए कृषि क्षेत्र में यह उत्तर प्रदेश सरकार को सर्वाधिक राजस्व प्रदान करता है.
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मुम्बई लंबे समय से भारत के सूती वस्त्र उद्योग के केंद्र के रूप में विख्यात रहा है, लेकिन अब यहाँ विविध निर्माण उद्योग भी हैं और इसके वाणिज्यिक व वित्तिय संस्थान सशक्त और सबल हैं।
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यहाँ के उद्योगों में सूती वस्त्र उद्योग, रासायनिक उद्योग, कागज एवं कागज से निर्मित वस्तुओं के उद्योग, मुद्रण यंत्र एवं इससे सम्बन्धित उद्योग, चमड़ा, डीजल इंजन, मोटरगाड़ी, साइकिल, सीमेन्ट, चीनी, दियासलाई, रेल के डिब्बे तैयार करने के उद्योग आदि प्रमुख हैं।
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यहाँ के उद्योगों में सूती वस्त्र उद्योग, रासायनिक उद्योग, कागज एवं कागज से निर्मित वस्तुओं के उद्योग, मुद्रण यंत्र एवं इससे सम्बन्धित उद्योग, चमड़ा, डीजल इंजन, मोटरगाड़ी, साइकिल, सीमेन्ट, चीनी, दियासलाई, रेल के डिब्बे तैयार करने के उद्योग आदि प्रमुख हैं।
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वस्तुत: लंकाशायर की सूती कपड़ा मिलों के हित में, परन्तु प्रकट रूप में मुक्त व्यापार के नाम लॉर्ड लिटन ने अपनी एक्जीक्यूटिव कौंसिल की अवहेलना करके, सूती कपड़ों के आयात पर लगाया गया 5 प्रतिशत कर हटा दिया और इस प्रकार भारत के सूती वस्त्र उद्योग का विस्तार रोक दिया।