आज वह अपने सहकर्मी के विषय में सोच रही है, क्या इस उम्र में विवाह करना ठीक होगा? वह अपने नए पति को सुख दे पाएगी? घर वाले क्या सोचेंगे? सबसे बड़ी बात, उसका पुत्र और बहू क्या सोचेंगे? क्या प्रभाव पड़ेगा उन पर? क्या वह अपनी माँ से संबंध रखना पसंद करेंगे? क्या वह अपनी माँ के त्याग पर विचार करेंगे? इन संशयों के उभरते ही वह सहम गई।
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मिस्र की संसद में आज़ादी एवं न्याय धड़े के एक सांसद महमूद आमिर ने अलआलम टीवी चैनल से वार्ता में कहा कि हुस्नी मुबारक की पुरानी सरकार अतिग्रहणकारी ज़ायोनियों के साथ सहकारिता करने में जनता की इच्छाओं को कोई महत्व नहीं देती थी परंतु अब मिस्र के नये राष्ट्रपति चुनकर सत्ता में आये हैं और यदि इस देश की जनता ज़ायोनी शासन से संबंध रखना या उसे विच्छेद करना चाहती है तो मोहम्मद मुरसी को जनता की इच्छाओं का सम्मान करना चाहिये