देश में पहली बार भास्कर लाया है 35 विचारोत्तेजक बिंदु जिनमें नक्सलियों का इतिहास, भूगोल, समाजशा, अर्थशा, राजनीति विज्ञान, सैन्य विज्ञान भाषा और गणित।
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क्यों आई ऐसी नौबत दरअसल जुलाई में हुए विधानसभा सत्र में सैन्य विज्ञान विषय के प्राध्यापकों की पदोन्नति को लेकर सवाल उठाया गया था।
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प्राचीन समय में सैन्य विज्ञान का नाम ही धनुर्वेद था, जिससे सिद्ध होता है कि उन दिनों युद्ध में धनुष बाण का कितना महत्व था।
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देश में पहली बार भास्कर लाया है 35 विचारोत्तेजक बिंदु, जिनमें शामिल है नक्सलियों का इतिहास, भूगोल, समाजशास्त्र, अर्थशास्त्र, राजनीति विज्ञान, सैन्य विज्ञान भाषा और गणित।
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इसमें धर्म, दर्शन, भाषा, व्याकरण आदि के अतिरिक्त गणित, ज्योतिष, आयुर्वेद, रसायन, धातुकर्म, सैन्य विज्ञान आदि भी वर्ण्यविषय रहे हैं।
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पहली पाली में सुबह 7. 30 से 10.45 बजे तक हाईस्कूल की गणित, प्रारंभिक गणित, गृह विज्ञान और इंटरमीडिएट की सैन्य विज्ञान प्रथम प्रश्नपत्र की परीक्षा कराई गई।
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' चीन की सैन्य विज्ञान अकादमी (एएमएस) के विशेषज्ञों ने भारतीय पत्रकारों से चर्चा में कहा कि कि लद्दाख में चीनी सेना के प्रवेश को घुसपैठ नहीं मानना चाहिए।
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आज अधिकांश विद्वान सैन्य विज्ञान को नवीन अध्ययन धारा के रुप में देखते है किन्तु प्राचीन भारतीय महाकाव्यों, श्रुतियों और स्मृतियों में राज्य के सप्तांग की कल्पना की गयी है।
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आज अधिकांश विद्वान सैन्य विज्ञान को नवीन अध्ययन धारा के रुप में देखते है किन्तु प्राचीन भारतीय महाकाव्यों, श्रुतियों और स्मृतियों में राज्य के सप्तांग की कल्पना की गयी है।
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इन तत्वों को अपनाकर भविष्य आज ज्यादा सुरक्षित रह सकता है, ऐसा सोचा जा सकता है, क्योंकि तत्कालीन सैन्य विज्ञान के अन्तर्गत युद्ध मानवता की भावना से लडा जाता था, जो आज के लिए एक शिक्षा है।