फ़ासिस्ट सेनाओं की स्तालिनग्राद के पास सख़्त पराजय हुई, पर उन्हों ने एक नयी योजना बनायी और उस का नाम रखा “ सिटेडल ” ।
32.
टैंकों, तोपों तथा हवाई जहाज़ों से लैस दस लाख से ज़्यादा सैनिकों और अफ़सरों को जर्मन कमान ने स्तालिनग्राद पर धावा बोलने के लिए भेजा।
33.
लेनिनग्राद और मास्को की घेरेबंदी और स्तालिनग्राद में लाल सेना के जबर्दस्त प्रतिरोध की कहानी सारी दुनिया के सैन्य इतिहास में हमेशा स्वर्ण अक्षरों से लिखी रहेगी।
34.
आख़िर 19 नवंबर, 1942 की सुबह को लाल सेना के दस्तों ने हमले की कार्रवाइयाँ शुरू कीं और चार दिनों के अंदर स्तालिनग्राद के पास फ़ासिस्टों को घेर लिया।
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वोल्गा के किनारे और स्तालिनग्राद की दीवारों से फ़ासिस्ट हमलावरों से सोवियत भूमि को मुक्त करने का, फ़ासिस्ट ग़ुलामी से यूरोप की जनताओं को आज़ाद कराने का अभियान शुरू हुआ।
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आख़िर 19 नवंबर, 1942 की सुबह को लाल सेना के दस्तों ने हमले की कार्रवाइयाँ शुरू कीं और चार दिनों के अंदर स्तालिनग्राद के पास फ़ासिस्टों को घेर लिया।
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वोल्गा के किनारे और स्तालिनग्राद की दीवारों से फ़ासिस्ट हमलावरों से सोवियत भूमि को मुक्त करने का, फ़ासिस्ट ग़ुलामी से यूरोप की जनताओं को आज़ाद कराने का अभियान शुरू हुआ।
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सन् 1941 से 45 तक चलनेवाले महान् देशभक्तिपूर्ण युद्ध में दक्षिणी पश्चिमी क्षेत्र, स्तालिनग्राद, दक्षिणी क्षेत्र तथा यूक्रेन के मुख्य मोरचे के लिए गठित युद्धपरिषद के विशिष्ट सदस्य नियुक्त हुए।
39.
1942 की गर्मियों से 2 फरवरी 1943 तक चली स्तालिनग्राद की लड़ाई में हिटलरी नाजियों के हौसले पस्त हो गये थे और जनरल पाउलुस की कमान के एक लाख एक हजार से ज्यादा फौजियों को बंदी बना लिया गया था।
40.
हिटलर द्वारा भारत की आजादी के लिए सैन्य अभियान को टालने के पीछे कई कारण हो सकते हैं-1. फिलहाल स्तालिनग्राद में नाज़ी सेना को मिली असफलता के कारण वे नयी जिम्मेवारी लेने से बचना चाहते हैं ; 2.