आधुनिकता का अर्थ हो गया है ” स्त्रैणता ” ……. आज वेष में, स्वभाव में, साहित्य में तरुण पुरुषों का आधुनिक फैशन बना है-अधिकाधिक स्त्रैण रूप में दिखाई पड़ना ………..
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यदि कोई पुरूष इस प्रकार के मांस का भक्षण करता है तो उसमें ' स्त्रैणता ' आ जाती है अर्थात् उसमें स्त्री के हारमोन्स अधिक विकसित होने लगते है तथा पुरूषत्व घटता जाता है।
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आधुनिकता का अर्थ हो गया है ” स्त्रैणता ” ……. आज वेष में, स्वभाव में, साहित्य में तरुण पुरुषों का आधुनिक फैशन बना है-अधिकाधिक स्त्रैण रूप में दिखाई पड़ना ………..
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मेरा मानना है कि सौन्दर्य और स्त्रैणता आयु से परे होती हैं और उन्हें बनाया नहीं जा सकता और हालांकि निर्माता मेरी बात पसंद नहीं करेंगे-ग्लैमर का उत्पादन नहीं किया जा सकता.
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यानी यह माना जा सकता है कि अपने मार्ग में स्त्रैणता के मूल भाव को अभिव्यक्ति देने के बावजूद सूफ़ी सिद्ध और साधक स्त्रियों के प्रति अपने समय के पूर्वाग्रहों से मुक्त नहीं हो सके थे।
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उपर की टिप्पणी में आशीष श्रीवास्तव ने एक उदाहरण दिया ही है, टुटपुँजियों द्वारा आपका या मेरा “ विश्वासयोग्य ” सूची से हटाया जाना, भारतीय चरित्र में धँसे हुये स्त्रैणता का द्योतक है....
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यानी यह माना जा सकता है कि अपने मार्ग में स्त्रैणता के मूल भाव को अभिव्यक्ति देने के बावजूद सूफ़ी सिद्ध और साधक स्त्रियों के प्रति अपने समय के पूर्वाग्रहों से मुक्त नहीं हो सके थे।
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लम्बा-तिरछा, चपटा, गोरा-गोरा, हाथ की पीठ पर नसें उभरी हुईं, कंठ की घंटी बाहर निकली, सूखी टांगो पर बड़े-बड़े पांव, लेकिन बेडौल नहीं, स्त्रैणता लिए हुए अजीब सी नफासत, चेहरे पर झुंझलाहट, आवाज में बेचैनी.......
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कट्टर इस्लाम ने जलाल के, पौरुष के पक्ष पर बहुत अधिक ज़ोर दिया और धर्म के स्वरूप का संतुलन बिगाड़ दिया जिस के चलते जमाल के स्त्रैणता के भाव अभिव्यक्ति के लिए दूसरे स्रोतों से राह पाने लगे।
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कट्टर इस्लाम ने जलाल के, पौरुष के पक्ष पर बहुत अधिक ज़ोर दिया और धर्म के स्वरूप का संतुलन बिगाड़ दिया जिस के चलते जमाल के स्त्रैणता के भाव अभिव्यक्ति के लिए दूसरे स्रोतों से राह पाने लगे।