प्रकार उसकी रति नायक स्थायी दशा में भी बहुत दिनों के लिए या सब दिन के
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के कारण भी थोड़ी देर के लिए हो सकता है और स्थायी दशा में प्रकृतिस्थ भी
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किन्तु अवलोकनों से प्राप्त तथ्यों के द्वारा स्थायी दशा सिद्धान्त के लिये कठिनाइयां उत्पन्न होती गईं।
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स्थायी दशा सिद्धान्त ' को 1941 में घोषित किये गये व्हीलर तथा फाइनमान के एक अनोखे सिद्धान्त से भी बल मिला।
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अस्तु! तीन वैज्ञानिकों गोल्ड, बान्डी तथा हॉयल ने 1948 में एक संवधिर्त सिद्धान्त प्रस्तुत किया-‘ स्थायी दशा सिद्धान्त ' ।
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यह प्रसारी सिद्धान्त का एक अकाट्य प्रमाण स्थापित हुआ और अधिकांश विद्वानों ने स्थायी दशा सिद्धान्त के बरअक्स ब्रह्माण्ड के विकास का प्रसारी सिद्धान्त स्वीकार किया।
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यह प्रसारी सिद्धान्त का एक अकाट्य प्रमाण स्थापित हुआ और अधिकांश विद्वानों ने स्थायी दशा सिद्धान्त के बरअक्स ब्रह्माण्ड के विकास का प्रसारी सिद्धान्त स्वीकार किया।
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इसमें तथा स्थायी दशा सिद्धान्त की मान्यताओं में जो मुख्य अन्तर है वह यह कि प्रसारी सिद्धान्त के अनुसार ‘दिक्काल ' में ब्रह्माण्ड परिवर्तनीय है जबकि ‘स्थायीदशा' में ‘दिक्काल' में भी अपरिवर्तनीय है।
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“हिन्दी भारत”-मौलिक-विज्ञानलेखन साप्ताहिक स्तम्भ गतांक से आगे ब्रह्माण्ड के खुलते रहस्य (३) (स्थाई दशा एवं प्रसारी सिद्धान्त) विश्वमोहन तिवारी (पूर्व एयर वाइस मार्शल) स्थायी दशा सिद्धान्त (स्टडी स्टेट थ्योरी)..
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स्थायी दशा सिद्धान्त (स्टडी स्टेट थ्योरी) तीसरे दशक के बाद अनेक वैज्ञानिक, जिनके मन को यह प्रसारी ब्रह्माण्ड नहीं भा रहा था, यह प्रश्न कर रहे थे कि यदि ब्रह्माण्ड का प्रारंभ हुआ था, तब उस क्षण के पहले क्या स्थिति थी?