किन्तु आज के परिदृश्य को देखते हुए ; जहाँ हमारे देश के अधिकाँश हिस्से में पर्याप्त चिकित्सा सुविधा उपलब्ध नहीं है ; दूसरी ओर चिकित्सा सेवा भी “ सेवा भावना ” को ताक में रख “ मेवा भावना ” को प्राथमिकता देने वाला हो गया हो (हो भी न कैसे? दाखिले से लेकर अध्ययन में हुए खर्चे की भरपाई जो करनी है) ; दन्त चिकित्सा संकाय से चिकित्सा संकाय के स्नातक महाविद्यालय में दाखिले हेतु अभियांत्रिकी निकाय में दाखिले के लिए विनिर्दिष्ट उपरोक्त सुझाव को लागू कर दिया जावे तो कैसा रहेगा.