समस्या यह है कि महर्षि दयानन्द सरस्वती के इस अर्थ को किसी प्राचीन भाष्यकार या स्मृतिकार से समर्थन नहीं मिलता।
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धर्मशास्र को नवीन रुप दिया गया (यह वस्तुत: संकट की व्यवस्था थी) पर परवर्ती स्मृतिकार उसे आगे न बढ़ा सके।
33.
यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः ' के द्वारा स्मृतिकार कहीं से भी यह नहीं कहना चाहता कि स्त्री पूज्यनीय है।
34.
महर्षि गौतम न्यायशास्त्र के अतिरिक्त स्मृतिकार भी थे तथा उनका धनुर्वेद पर भी कोई ग्रन्थ था, ऐसा विद्वानों का मत है।
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महर्षि गौतम न्यायशास्त्र के अतिरिक्त स्मृतिकार भी थे तथा उनका धनुर्वेद पर भी कोई ग्रन्थ था, ऐसा विद्वानों का मत है।
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किंतु स्मृतिकार यम (87) प्रथम दिन से लेकर चौथे दिन तक अस्थिसंचयन के पक्ष में अपना मत प्रस्तुत करते हैं।
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धर्मशास्र को नवीन रुप दिया गया (यह वस्तुत: संकट की व्यवस्था थी) पर परवर्ती स्मृतिकार उसे आगे न बढ़ा सके।
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इस पुस्तक के संदर्भ मेँ डॉ. लक्ष्मीमल सिंघवी ने लिखा-‘‘ राजस्थानी कहावत कोश के संपादक ने स्मृतिकार की भूमिका निभाई है।
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इसी से यह अनुमान होता है कि विश्वामित्रवंशीय याज्ञवल्क्य के अनुवर्ती कात्यायन ऋर्षि ही कात्यायन श्रौतसूत्र के रचियिता हैं और गोमिलपुत्र कात्यायन स्मृतिकार हैं।
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सभ्यता की कहानी भौतिक जगत और मानव मानव का आदि देश सभ्यता की प्रथम किरणें एवं दंतकथाऍं अवतारों की कथा स्मृतिकार और समाज रचना