एक विशेष बात ध्यान देनेकी है कि जिसको मुक्ति, कल्याण अथवा भगवत्प्राप्ति कहते है, वह स्वतःसिद्ध है, क्रियाके द्वारा सिद्ध होनेवाली चीज नहीं है ।
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‘ राव और उनके सहयोगी ' कौन हैं? अपूर्वानंद के शब्दों में ‘ स्वतःसिद्ध ब्रम्हांड ' हैं! सरकार की नजरों में ‘ देश की सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा हैं ' ।
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इस तरह 19 वीं सदी में प्रतिपादित ऐतिहासिक भाषाविज्ञान की मान्यताएं भाषा विज्ञान के पाठकों-लेखकों के लिये कितनी स्वाभाविक और स्वतःसिद्ध बन गई हैं, इसका पता 1920 में लिखे गए कामताप्रसाद गुरु के हिन्दी व्याकरण से मिलता है जिसमें इन मान्यताओं को इनके सबसे सरलतम रूप में पेश किया गया है।
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टोंनीज़ ने अवधारणा और सामाजिक क्रिया की वास्तविकता के क्षेत्रों के बीच एक स्पष्ट रेखा खींची: पहले वाले के साथ हमें स्वतःसिद्ध और निगमनात्मक तरीके से व्यवहार करना चाहिए (' सैद्धान्तिक ' समाजशास्त्र), जबकि दूसरे से प्रयोगसिद्ध और एक आगमनात् मक तरीके से (' व्यावहारिक ' समाजशास्त्र). Max Weber 1894. jpg