स्वपोषी अथवा उत्पादक प्रथम पोषी स्तर हैं तथा सौर ऊर्जा का स्थिरीकरण करके उसे विषमपोषियों अथवा उपभोक्ताओं के लिए उपलब्ध कराते हैं।
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खोजी पत्रकारिता एवं जागरूक मीडिया के पहरेदारों को इन स्वपोषी अति उत्साही स्वार्थी तत्वों से तत्काल सचेत होने की आवश्यकता है.
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जैसा कि हम पढ़ चुके हैं, स्वपोषी सौर प्रकाश में निहित ऊर्जा को ग्रहण करके रासायनिक ऊर्जा में बदल देते हैं।
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अधिकांश शैवाल पौधों के समान सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में प्रकाश संश्लेषण की क्रिया द्वारा अपना भोजन स्वंय बनाते हैं अर्थात् स्वपोषी होते हैं।
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अधिकांश शैवाल पौधों के समान सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में प्रकाश संश्लेषण की क्रिया द्वारा अपना भोजन स्वंय बनाते हैं अर्थात् स्वपोषी होते हैं।
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कुछ साल पहले, पूरी तरह से चला मीडिया कहना है कि वहाँ था शुरू किया स्वपोषी, यानी फ़ीड करने के लिए नहीं है, भोजन या पानी और केवल
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स्वपोषी जीवों द्वारा ग्रहण की गई ऊर्जा पुन: सौर ऊर्जा में परिवर्तित नहीं होती तथा शाकाहारियों को स्थानांतरित की गई ऊर्जा पुन: स्वपोषी जीवों को उपलब्ध नहीं होती है।
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स्वपोषी जीवों द्वारा ग्रहण की गई ऊर्जा पुन: सौर ऊर्जा में परिवर्तित नहीं होती तथा शाकाहारियों को स्थानांतरित की गई ऊर्जा पुन: स्वपोषी जीवों को उपलब्ध नहीं होती है।
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वेद में स्थूल रूप से महत्वपूर्ण पाँच पशु माने गए हैं, पुरूष, अश्व, गौ, अज ये प्रसिद्ध नाम हैं तथा अवि उस पशु प्राण का नाम हैं, जो वनस्पतियों को स्वपोषी बनाता है।
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मुझे मालूम है शून्य से शुरू होकर बनोगे तुम विशाल वृत्त समेटोगे अपनी परिधि में दुनिया को तुम्हारी आत्मा में समायी महापुरुषों की सीखें नहीं होने देंगी तुम्हें स्वपोषी या परजीवी क़ीमतें तुम्हें नाप नहीं पाएँगी सत्ताएँ तुम्हें क़ैद नहीं रख पाएँगी.