कभी कभी तो ऐसा लगता है कि स्वयं अपने हाथ से मौलिक लिखने वाले लेखकों को यहां एक तरह से प्रयोक्ता की तरह समझा जा रहा है शायद यही कारण है कि कोई उनके नाम तक नहीं लेता।
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कभी कभी तो ऐसा लगता है कि स्वयं अपने हाथ से मौलिक लिखने वाले लेखकों को यहां एक तरह से प्रयोक्ता की तरह समझा जा रहा है शायद यही कारण है कि कोई उनके नाम तक नहीं लेता।
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इसके उत्तर खण्ड में वर्णन है जिसमें एक सुन्दर बाग का दृश्य है जिसमें नर्तकियां नृत्य कर रही हैं, और मदिरा पान चल रहा है जिसमें राम स्वयं अपने हाथ से सीता जी को मदिरा पिला रहे हैं! नर्तकियां मस्त होकर राम के निकट आ आकर नृत्य करती हैं।
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वादी मुकदमा पी. डब्ल्यू-1 व पी. डब्ल्यू-2 चोटहिल रामराज ने अपने बयान में यह भी कहीं नहीं कहा है कि उनके द्वारा किसी अमुक व्यक्ति से लिखित तहरीर लिखायी गयी हो, अथवा स्वयं अपने हाथ से ऐसी कोई लिखित तहरीर लिखी गयी हो और उसे थाने ले जाकर दिया गया हो।
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इस स्वयं अपने हाथ से लगाए हुए पौधे के बारे में अत्यंत सावधानी व चैकसी और खोजबीन व तवज्जोह से काम ले और अधीन हाकिमों को निर्देश दे कि वे भी इस खानदान की प्रमाणित वफ़ादारी और निष्ठा का लिहाज़ रखकर मुझे और मेरी जमाअत को कृपा और दया की दृष्टि से देखें।
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बडे ठाठ से सिगरेट सुलगाते हुए शोभराज ने उन अधिकारी महोदय के समक्ष अपने हुनर का राज बताया-जैसे मैंने आपसे सिगरेट मांगी और आपने स्वयं अपने हाथ से निकालकर मुझे दे दी बस ऐसे ही मैं लोगों से रुपये, जेवर व गाडियां मांग लेता हूँ और वे मुझे दे देते हैं ।
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बडे ठाठ से सिगरेट सुलगाते हुए शोभराज ने उन अधिकारी महोदय के समक्ष अपने हुनर का राज बताया-जैसे मैंने आपसे सिगरेट मांगी और आपने स्वयं अपने हाथ से निकालकर मुझे दे दी बस ऐसे ही मैं लोगों से रुपये, जेवर व गाडियां मांग लेता हूँ और वे मुझे दे देते हैं ।
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अच्छा आप ये तो मानोगे कि सभी प्राणी महापुरुषों का आशिर्वाद पाने के लिये लालायित रहते हैं, और जब महापुरुष उनके सर पर हाथ रख देते हैं तो अपने आप को धन्य समझने लगते हैं और गर्व से कहते हैं कि फलाँ फलाँ महापुरुष ने स्वयं अपने हाथ से उनको प्रसाद या भभूति दी।”
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अच्छा आप ये तो मानोगे कि सभी प्राणी महापुरुषों का आशिर्वाद पाने के लिये लालायित रहते हैं, और जब महापुरुष उनके सर पर हाथ रख देते हैं तो अपने आप को धन्य समझने लगते हैं और गर्व से कहते हैं कि फलाँ फलाँ महापुरुष ने स्वयं अपने हाथ से उनको प्रसाद या भभूति दी।
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अभियुक्त कृपा शंकर मिश्रा उर्फ मोनू उपरोक्त आगे-आगे चल कर अपने मकान के सहन दरवाजे के बगल नाला (खाई) में झाड़-झंखाड़ के बीच घासफूस से ढका एक अद्द कट्टा 12 बोर स्वयं अपने हाथ से उठाकर दिया और बताया कि यह वही कट्टा है जिससे उसने अपनी पत्नी को गोली से मार कर हत्या की थी।