इसके अलावा असम के बोडो बहुल इलाकों को मिलाकर बोडोलैंड तथा राज्य के कार्बी आंगलोंग स्वायत्त जिला को अलग कर कार्बी आंगलोंग राज्य बनाने की मांग भी काफी समय से लंबित है।
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त्रिपुरा जनजातीय क्षेत्र स्वायत्त जिला परिषद (टीटीएएडीसी) का गठन 15 जनवरी 1982 को हुए गुप्त मतदान के द्वारा किया गया तथा चुने हुए सदस्यों को 18 जनवरी 1982 को शपथ दिलाई गई।
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दूसरी ओर, छठी अनुसूचि स्वायत्त जिला परिषद की स्थापना की बात करता है, जो एक तरह से मिनी-स्टेट (छोटे राज्य) की तरह, जो कानून लागू कर सकता है।
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त्रिपुरा जनजातीय क्षेत्र स्वायत्त जिला परिषद (टीटीएएडीसी) का गठन 15 जनवरी 1982 को हुए गुप्त मतदान के द्वारा किया गया तथा चुने हुए सदस्यों को 18 जनवरी 1982 को शपथ दिलाई गई।
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पुलिस अधीक्षक के मुताबिक इन उग्रवादियों को खासी पर्वतीय स्वायत्त जिला परिषद के अध्यक्ष एच एस श्याला और आत्मसमर्पण कर चुके एक अन्य उग्रवादी जुलियस के दोरफांग की हत्या के लिए यहां भेजा गया था
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असम सरकार ने शनिवार को सभी पक्षों से संयम बरतने का अनुरोध किया ताकि ताकि हिंसा से प्रभावित कार्बी आंगलांग जिला और बोडोलैंड क्षेत्रीय स्वायत्त जिला (बीटीएडी) क्षेत्रों में स्थिति सामान्य बनाने में मदद मिल सके।
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सूत्रों का कहना है कि यह घटना तब हुई जब राभा हासंग स्वायत्त जिला परिषद इलाके में लोगों ने स्वायत्त परिषद चुनावों के पहले पंचायत चुनाव कराए जाने के विरोध में जिले के विभिन्न हिस्सों में मतदान केंद्रों पर हमला कर दिया।
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एक तरह से इन स्वायत्त जिला परिषदों की कमान उन लोगों के हाथों में सौंप दिया गया है जो पहले से राजधानी इंफाल में निवास करते हैं और निर्वाचित होने के बाद भी अपने निर्वाचन क्षेत्रों में जाने की स्थिति में नहीं हैं।
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यूएनसी महासचिव ए अशोरी ने राज्य में अखिल नगा छात्र संघ (एएनएसएएम) की ओर से लगाई गई आर्थिक नाकेबंदी की याद दिलाते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को एक ज्ञापन पत्र सौंपा है और स्वायत्त जिला कौंसिल को समाप्त करने की मांग की है।
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राभा होसांग स्वायत्त जिला काउंसिल इलाके में स्वायत्त काउंसिल चुनाव से पहले हो रहे पंचायत चुनाव का विरोध कर रहे 400 सशस्त्र लोगों के समूह ने जिले के कई हिस्सों में मतदान केंद्रों पर हमला करने और मतदान कार्य रोकने पर पुलिस को गोली चलानी पड़ी।