अगर आप स्वार्थहीन हैं, बच्चा गोद लीजिए, अपना बच्चा तो स्वार्थी लोग पैदा करते हैं जिससे आगे जाके मिलता कुछ नहीं है बदले में सिवाय छलावे के.
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बिनायक सेन जैसे स्वार्थहीन सामाजिक कार्यकर्त्ता एवं शिक्षा / स्वास्थ्य के क्षेत्र में नि: स्वार्थ योगदान देने वाले किसी विशिष्ट समुदाय के व्यक्ति क्या अमानवीय शक्तियों के कोप के शिकार नही बन रहे?
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परन्तु यह भी जानती हूँ कि जैसे जैसे उम्र बढ़ती जाएगी व समाज में हमारा रुतबा घटता जाएगा, जो सेवानिवृत्ति के बाद होगा ही, हम उतने तार्किक व स्वार्थहीन ना रह जाएँगे जितने आज हैं ।
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वो कुंठा जो उन्होने बार बार बताया कि उनकी अपंगता के कारण आयी॥यहाँ तो शायद मै बोलने का अधिकार रखती ही हूँ कि ये जो दैवीय गाँठे हैं, उन्हे खोलने का एक ही तरीका है स्वार्थहीन स्ने ह..
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जब हर तरफ से मान लेती हूँ कि जो उन्होंने ने किया वो अदम्य था..... सर्वथा स्वार्थहीन था...... तब ही लिखती हूँ.... आप की असहमति कोई नयी नहीं है...... यह असहमति तो सर्वत्र है..... शुरुआत तो सहमतियों की हुई है....
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यहाँ तो शायद मै बोलने का अधिकार रखती ही हूँ कि ये जो दैवीय गाँठे हैं, उन्हे खोलने का एक ही तरीका है स्वार्थहीन स्नेह..! और अगर ये स्नेह भी ना खोल सके गाँठें तो क्षमा करें मगर आप कोई भी जीवन पाते कुंठा के शिकार ही रहते।
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क्रांति की इस उत्साहित प्रकिया में मैंने एक दिन कहा, ”ब्रदर्स”, अगर हम ऐसे ही अपने स्वार्थहीन उद्देश्यों पर अपने माताओं और बच्चों की बलि चढ़ाते रहे तो बलिदान के लिए कोई बचेगा ही नहीं या अगर सभी प्रतीक्षारत् बलिदानी चढ़ना चाहेंगे फूलोंकी पालकी पर कौन बचेगा जो शासक होगा नए सवेरे का?
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आज भी स्वार्थहीनता और स्नेहभरी समझ, आम आदमियों को सबकुछ छोड़, सबकुछ त्याग, साथ चलने को तैयार कर सकती है, प्रेम और सद्भाव का पाठ पढ़ा सकती है, यदि यह सिद्ध किया जा सके, विश्वास दिलाया जा सके कि लक्ष्य स्वार्थहीन ही नहीं, पूरे समाज के हित में है।
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मैंने तब उनके कान में धीमे से बोला, चंद शब्दों में अपनी इच्छा का राज खोला | कुबेर जी सकुचाए घबराये उल्टे पैर दौड़ते नजर आये | जानोगे मैंने उनसे क्या माँगा था? मैंने मांगी थी सच्ची खुशियाँ और गलती से मांग लिया था कि इस दुनियां में मिले एक अदद स्वार्थहीन सच्चा प्यार |
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जिसमें फकिंग जैसे शब्द सामान्य रूप से बोलते युवा सहयात्री की चिंता किये बगैड़ अंग्रेजी गानों पर थिरकते गिटार बजाते आधी खुली पीठ वाला छोटा सा नाभीदर्शना टॉप पहने और उस नाभि में चाँदी की बाली लटकाये खुद में मस्त दुनिया से बेफिकर युवा अचानक रेल में बैठे बहुत से सभ्य और सुसंस्कृत लोगों से अधिक संवेदनशील और स्वार्थहीन दिखने लगते हैं।