किन्तु यह बात सही नहीं है. श्वास खिंचाव लगातार होता रहता है, छातीका पूरा खोखला, नीचे दबी हुई पूर्व कथित चद्दर से लेकर ऊपर छाती के सबसेऊपर वाले भाग तक जो हँसली के हड्डी के स्थान में है, समगति से फैलता है.
32.
साथ ही दिव्य चूड़ामणि, दो कुंडल, कड़े, उज्ज्वल अर्धचंद्र, सब बाहुओं के लिये केथूर, दोनों चरणों के लिए निर्मल नुपूर, गले की सुंदर हँसली और सब अंगुलियों में पहनने के लिए रत्नों की बनी अंगूठियाँ भी दीं।
33.
वापस खींचो सारे छुरे जो तुमने घोंपे थे पसलियों के बीच हँसली के ऊपर गुर्दों के आसपास लौटाओ लोगों को मुर्दाघरों से इमर्जेंसी वार्ड में जहाँ नाइट ड्यूटी पर लगे दो उनींदे डाक्टर तुम्हारे किसी शिकार को बचाने की कोशिश कर रहे हैं वे ऐसे तो उसे बचा नहीं पाएँगे
34.
तुम गले में बहुत ही चमकीली सुन्दर हँसली पहन लो, ललाट के मध्य भाग में सौन्दर्य की मुद्रा (चिह्न) धारण करने वाले सिन्दूर की बेंदी लगाओ तथा अत्यन्त सुन्दर पद्मपत्र की शोभा को तिरस्कृत करने वाले नेत्रों में यह काजल भी लगा लो, यह काजल दिव्य ओषधियों से तैयार किया गया है॥7॥
35.
आदिवासी गले में हँसली, कण्ठी, लटकनियाँ, छूटा, हयकल, बन्धन हार, तागली, साकली मुरकी, कान में बाली, झुमके और कर्नफ़ूल, हाथों में चूड़ा, कंगना, बाकुड़ा, हाड़का, काकन,कड़ी कंगना, गजरिया, एठी, गेंदे,गेंदे गजरे, लाख चूड़ा, पैर में तोडड, गुजरी, तोड़ा,पैनजा,पायल,कामी, कड़े,तोड़ा,पैरी आदि आभूषणों का चलन देखा गया है ।
36.
ये सब आभूषण प्रशंसा के योग्य हैं॥ 6 ॥ धन देने वाली शिवप्रिया पार्वती! तुम गले में बहुत ही चमकीली सुन्दर हँसली पहन लो, ललाट के मध्य भाग में सौन्दर्य की मुद्रा (चिह्न) धारण करने वाले सिन्दूर की बेंदी लगाओ तथा अत्यन्त सुन्दर पद्मपत्र की शोभा को तिरस्कृत करने वाले नेत्रों में यह काजल भी लगा लो, यह काजल दिव्य ओषधियों से तैयार किया गया है॥ 7 ॥ पापों का नाश करने वाली सम्पत्तिदायिनी त्रिपुरसुन्दरि! अपने मुख की शोभा निहारने के लिये यह दर्पण ग्रहण करो।