कागद पर कुछ स्याह लकीरें हैं! गीले सुर्ख से शुष्क श्यामल हुए हैं ये! इन्हें हरा करना है! इतिहास में जिन्हें इबारतों की शक़्ल में नहीं उकेरा गया उनका वर्तमान सजाएंगे हम! एक नई दुनिया बनाएंगे हम! क्योंकि संभव है यह! इसका रास्ता लोकशाही से होकर जाता हो शायद!