एक बच्चा किवाड़ की दराज़ से बाहर झांका और गुलेल हाथ में लिए हवा सा फुर्र हो गया पहाड़ की सबसे ऊंची चोटी की तरफ़
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और मुझे लगने लगा जैसे मैं अपने शरीर से अलग होकर हवा में उड़ने लगी हूँ, मेरा शरीर हवा सा हल्का हो गया है.....
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जिस पल हमने खुद को नदी सा बहने दिया, हवा सा मुक्त कर दिया दोस्तों तभी तो चुरा ली थी हमने जिन्दगी है की नहीं?
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मौत का ये अट्टाहास कभी कान से हल्की हवा सा गुजर जाता है, कभी बिलकुल समीप से गुजरती रेल की तरह धड़धड़ाहट करता दिल दहला देता है।
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कभी यह राग सुनहरे गीतों का कभी मुझे ख़ुद में समेटे हुए अपने में डूबोते हुए पास से हवा सा गुजरता यह“ सुनो ”लफ्ज़ एक दास्तान बन जाता है!!
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कभी यह राग सुनहरे गीतों का कभी मुझे ख़ुद में समेटे हुए अपने में डूबोते हुए पास से हवा सा गुजरता यह “ सुनो ” लफ्ज़ एक दास्तान बन जाता है!!
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सर्वश्रेष्ठ पाश्र्व गायिका का पुरस्कार कविता सेठ को दिया गया जबकि सर्वश्रेष्ठ पाश्र्व गायक का खिताब शान को ‘ 3 इडियट्स ' में ‘ बहती हवा सा था वो ' के लिए दिया गया।
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सलाखों की तरह लगती गयीं इकलौते रौशनदान मे, मगर स्वयं को हर तुला पर वज़नदार मानने वाले कैसे जानोगे भला ।।।।? हल्का हो कर हवा सा लहराना, पूरे वजूद का ' मन ' हो जाना और उड़ पाना, एक दिन ।।।
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जाता हैबिखरेता कभी रंग स्नेह केकभी वात्सलय हो जाता हैभटकता ना जाने किस खोज मेंकभी शांत नही यह हो पाता हैश्वसो की गति पर थिरकतायह निरन्तर चलता जाता हैकभी ना उबता, ना रुकताबस हवा सा उड़ता जाता हैशाश्वत सच को यह मनजिस पल पा जाएगाचंचल चपल यह
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कुछ हाइकु (१)मंदिर द्वारे जीवन अभिशाप देव दासी का (२)लाख पहरे खोल कर खिड़की उड़ा परिंदा (३)निगल रहा आदमी को आदमी अजगर सा (४)हजारों जख्म जिन्दगी की पीठ पे रिश्ते खंज़र(५)प्रथम स्पर्श स्निग्ध मंद हवा सा प्रियतम का (६)आँखों की खुश्बू गंधीले कर देती जीवन क्षण (७)मन चेतना जीवन बदलती मूल चेतना