प्लाज़्मा परासरणीयता (plasma osmolality) में किसी भी उल्लेखनीय वृद्धि या गिरावट की पहचान हाइपोथेलेमस द्वारा की जाती है, जो सीधे पिछली श्लेषमीय ग्रंथि से संवाद करता है.
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जिस समय आप मंत्र का उच्चारण करते हैं, तब मंत्र के द्वारा उत्पन्न की गयी ध्वनि तरंगों का सीधा प्रभाव आपवे मस्तिष्क की तीनों ग्रन्थियों हाइपोथेलेमस, पिट्यूटरी और पीनियल पर पड़ता है।
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रक्त की परासारिता (plasma osmolality) में यदि कोई उल्लेखनीय वृद्धि होती है तो मस्तिष्क में हाइपोथेलेमस को इसकी अनुभूति हो जाती है और वह सीधे पिट्युटरी ग्रंथि के पिछले खण्ड से संवाद करता है।
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जब कभी संकट से आमना-सामना होता है, तो क्षण के सौंवे हिस्से से भी कम समय में हाइपोथेलेमस ग्रन्थि पूरे शरीर को ‘लड़ो या भागो' का सन्देश देकर ख़ुद की रक्षा करने का आदेश देती है।
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जिन व्यक्तियों में आयोडीन पर्याप्त मात्रा में होता है, उनमें हाइपोथायरायडिज्म अधिकतर हाशिमोटो थायरोडिटिस के कारण होता है, या थायरॉयड ग्रंथि की कमी के कारण या हाइपोथेलेमस या पीयूष ग्रंथि में से किसी एक के हॉर्मोन की कमी के कारण होता है.
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ओबेसिटी का सम्बन्ध भी हाइपोथेलेमस की इंजरी से हो सकता है ऐसा कयास लगाया जा रहा है. जिसका मतलब होगा दिमाग इंसुलिन के प्रति अनुक्रिया ज़ाहिर नहीं करेगा.अब यह इंसुलिन हारमोन ही तो है जो हमारी भूख का नियंता है तौल का नियामक है.
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इस संस्कार में शरीर के संवेदनशील अंगों को अति स्पर्शन या वेधन [नुकीली चीज़ से दबाव] द्वारा जागृत करके थेलेमस तथा हाइपोथेलेमस ग्रंथियों को स्वस्थ करते सारे शरीर के अंगों में वह परिपुष्टि भरी जाती है कि वे अंग भद्र ही भद्र ग्रहण हेतु सशक्त हों.
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में भूंख नही लगती है, और जाडों में खाना ज्यादा खाया जाता है कभी कभी भूंख से प्रभावित आमाशय की दीवारों में क्रमांकुचन इतना ज्यादा होता है कि हमे पीड़ा का अनुभव होता है इसे भूंख की टीस कहते है भोजन कि पर्याप्त मात्रा ग्रहण कर लेने के बाद जब आमाशय भर जाता है तो हाइपोथेलेमस कि मध्य रेखा में उपस्थित परित्रप्ती केन्द्र के नियंत्रण में हमे भूंख का आभास होना रुक जाता है
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में भूंख नही लगती है, और जाडों में खाना ज्यादा खाया जाता है कभी कभी भूंख से प्रभावित आमाशय की दीवारों में क्रमांकुचन इतना ज्यादा होता है कि हमे पीड़ा का अनुभव होता है इसे भूंख की टीस कहते है भोजन कि पर्याप्त मात्रा ग्रहण कर लेने के बाद जब आमाशय भर जाता है तो हाइपोथेलेमस कि मध्य रेखा में उपस्थित परित्रप्ती केन्द्र के नियंत्रण में हमे भूंख का आभास होना रुक जाता है ===================================================================== और अब “प्रश्नावली”