हाइपोथैलेमस (Hypothalamus)-थैलेमस के नीचे और सामने तथा पिट्यूटरी ग्रन्थि के ठीक ऊपर स्थित तन्त्रिका कोशिकाओं से बनी एक रचना को हाइपोथैलेमस कहते हैं।
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हाइपोथैलेमस (अध्:श्चेतक) संबंधी हार्मोन अग्रस्थ ललाट खंड में एक विशेष केशिका प्रणाली के माध्यम से स्रावित होते हैं, जिन्हें हाइपोथैलेमस-पीयूषिका संबंधी पोर्टल प्रणाली भी कहा जाता है.
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हाइपोथैलेमस (अध्:श्चेतक) संबंधी हार्मोन अग्रस्थ ललाट खंड में एक विशेष केशिका प्रणाली के माध्यम से स्रावित होते हैं, जिन्हें हाइपोथैलेमस-पीयूषिका संबंधी पोर्टल प्रणाली भी कहा जाता है.
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लेकिन जब हीट की वजह से हाइपोथैलेमस एबनॉर्मल काम करने लगता है, तो बॉडी का टेंपरेचर बढ़ने लगता है, जिसे मेडिकल भाषा में सन स्ट्रोक (लू लगना) कहते हैं।
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यह मस्तिष्क के तल पर हाइपोथैलेमस (अध;श्चेतक) के निचले हिस्से से निकला हुआ उभार है, और यह एक छोटे अस्थिमय गुहा (पर्याणिका) में दृढ़तानिका-रज्जु (diaphragma sellae) से ढंका हुआ होता है.
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डॉ. रिचर्ड कहते हैं कि मस्तिष्क में स्थित हाइपोथैलेमस और किडनी के ऊपरी भाग में उपस्थित एड्रीनलिन ग्रंथि शरीर की सभी गतिविधियों के साथ-साथ सोच-विचारों को भी नियंत्रित करती है।
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क्या है सन स्ट्रोक डॉक्टर डी. के. दास का कहना है कि ब्रेन में हाइपोथैलेमस पार्ट होता है, जो बॉडी के टेंपरेचर को 95 से 98.6 फारनहाइट के बीच में कंट्रोल करता है।
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लेकिन जब हीट की वजह से हाइपोथैलेमस एबनॉर्मल काम करने लगता है, तो बॉडी का टेंपरेचर बढ़ने लगता है, जिसे मेडिकल भाषा में सन स्ट्रोक (लू लगना) कहते हैं।
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हाइपोथैलेमस (अध्:श्चेतक) में, ऑक्सीटॉसिन का निर्माण अधिचाक्षुष और परानिलयी केन्द्रक की वृहतकोशिकीय तंत्रिका स्रावी कोशिकाओं में होता है और वह पृष्ठ पियुषिका में तंत्रिकाक्ष सीमांत (टर्मिनल्स) के हेरिंग बॉडीज में संचित होता है.
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हाइपोथैलेमस (अध्:श्चेतक) में, ऑक्सीटॉसिन का निर्माण अधिचाक्षुष और परानिलयी केन्द्रक की वृहतकोशिकीय तंत्रिका स्रावी कोशिकाओं में होता है और वह पृष्ठ पियुषिका में तंत्रिकाक्ष सीमांत (टर्मिनल्स) के हेरिंग बॉडीज में संचित होता है.