निकाला हुआ सामान हाथ के सामान में भरने लगे तो उसने पूछ लिया कि हाथ का सामान कितना है, उसका यह पूछना था कि मेरी धड़कन बढ़ गई, मैं मनाने लगा कि कहीं यह हाथ के सामान को नहीं तुलवा ले।
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सामान्य ट्रोलियां एक निश्चित सीमा तक ही एयरपोर्ट में ले जा सकते हैं, उसके बाद हाथ का सामान उठा कर ही ले जाना पड़ता है मगर ये छोटी ट्रोलियां ठेठ विमान तक जाती है इससे यात्रियों को बहुत आराम मिल जाता है।
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दूर से आती ट्रेन को देख औरतें अपनी अपनी साड़ियों की प्लीटस उठा कर कमर में खोंस लेती है, बैग जेबकतरों से बचाने के लिए पेट के आगे कर कस कर पकड़ लिए जाते हैं, सारे थैले और हाथ का सामान एक ही हाथ में कर लिया जाता है और दूसरा हाथ खाली रक्खा जाता है।