अर्वाचीन शरीरशास्त्री इसकी व्याख्या यों करते हैं कि पुरुष में स्त्रीलिंगी हार्मोन (Female sex hormones) और स्त्री में पुरुषलिंगी हार्मोंन (male sex hormones)
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यह न केवल शरीर बीमारी फैलाता है बल्कि हमारे शरीर के हार्मोंन को भी असंतुलित करता है जिससे शरीर में अन्य कई प्रकरा के रोग उत्पन्न होता है।
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स्तनपान कराने से शरीर में ऑक्सीटोसीन नामक हार्मोंन बनता है जिससे गर्भाशय सिकुड़ता और वह गर्भावस्था के पहले के आकार में आ जाता है और आपको पहली जैसी त्वचा पाने में मदद मिलती है।
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जैसे-उच्च रक्तचाप की दवाएं, हार्मोंन संबंधी दवाईयां, पेनकिलर्स, अस्थमा में ली जाने वाली दवाईयां, एंटी डिप्रेसेंट दवाएं, अल्सर के इलाज की दवाएं ऐसी हैं जिनके नियमित लेने से सेक्स में रूचि कम होने लगती हैं।
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फॉक्स न्यूज रिपोर्ट के अनुसार लॉस एंजेल्स के पीएचडी होल्डर सेक्सोलोजिस्ट एवा कैडल कहते हैं कि 18 साल की उम्र तक पुरूषों के टेस्टीकल्स पूरी तरह से विकसित हो जाते हैं, इससे का पुरूष सेक्सुअल हार्मोंन टेस्टोरेन का लेवल बहुत बढ़ जाता है।