मंगलेश जी की सचाई, विचार के प्रति समर्पण और घनघोर हिंसक समाज में भी अपनी ज़मीन पर खड़े रहने के उनके जीवट को हमारा सलाम-कबाड़खाना परिवार)-
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मंगलेश जी की सचाई, विचार के प्रति समर्पण और घनघोर हिंसक समाज में भी अपनी ज़मीन पर खड़े रहने के उनके जीवट को हमारा सलाम-कबाड़खाना परिवार)-
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देश में नैतिक मूल्यों युक्त शिक्षा देने के बजाय समाज को भ्रष्टाचार, यौन कुण्ठाओं, व्यभिचार से पथभ्रष्ट हिंसक समाज बनाने का कृत्य में देश की व्यवस्था लगी हुई है।
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क्या आपको लगता है कि हम एक कम हिंसक समाज में रहते हैं अगर हम संचार, संबंध, बातचीत, पैटर्न, संगठन, अर्थ परिवर्तन के औजार के रूप में और के बजाय बल के बारे में बात हो सकता है?
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ख़ून के इस प्यास को बुझाने की कवायद और राज्य द्वारा किसी अपराधी को बधिया करने जैसे सजा के नए ख़यालात हमारे समाज से हिंसा ख़त्म करने की बजाए हमें और ज़्यादा हिंसक समाज में तब्दील कर देगा।
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ये मासूम चार पैरों के हिंसक पशुओं से बच भी जाएं, मगर इन्हें दो पैरों के हिंसक समाज से कौन बचाए? यही कारण है कि मानव समाज की अपेक्षा जंगलों में स्वयं को ज्यादा सुरक्षित महसूस करते हैं।
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यह बात बहुत साफ तरीके से समझने की जरुरत है कि जब हम ऐसी किसी अभिव्यक्ति के खिलाफ प्रतिबंध का कोड़ा लेकर खड़े हो जाते हैं तो जाने-अनजाने हम एक ऐसे हिंसक समाज की तैयारी कर रहे होते हैं, जो तालिबान का निर्माण करता है.
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बुद्ध, महावीर और फिर गांधी की प्रासंगिकता अगर इस ते ज़ी से बदल रहे हिंसक समाज में है तो तय मानिए कि सिर्फ़ भारतीय जनता पार्टी में ही नहीं भारतीय राजनीति और भारतीय समाज में भी अटल बिहारी वाजपेयी की प्रासंगिकता है और कि रहेगी भी।
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' ‘ नहीं आनंद जी, ऐसा तो मत कहिए! ' मुनव्वर भाई आनंद को अपनी बाहों में सहारा देते हुए कहते हैं, ‘ आप भी ऐसा कहंेगे तो हम लोग क्या करेंगे? ' ‘ क्यों हम सभी इस नपुंसक और हिंसक समाज का महत्वपूर्ण हिस्सा नहीं हैं? ' वह कहता है, ‘ मुनव्वर भाई आप हो न हों, मैं तो हो गया हूं।
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कहता है, 'लगता है मुनव्वर भाई इस नपुंसक और हिंसक समाज का मैं भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा हूं।' 'नहीं आनंद जी, ऐसा तो मत कहिए!' मुनव्वर भाई आनंद को अपनी बाहों में सहारा देते हुए कहते हैं, 'आप भी ऐसा कहंेगे तो हम लोग क्या करेंगे?' 'क्यों हम सभी इस नपुंसक और हिंसक समाज का महत्वपूर्ण हिस्सा नहीं हैं?' वह कहता है, 'मुनव्वर भाई आप हो न हों, मैं तो हो गया हूं।' वह रो पड़ता है।