भीड़, समुदाय, हित समूह, एनजीओ, हिंसक समूह, आतंकवाद इत्यादि का दबाव तो होता ही है, लेकिन दबाव प्रशासन के हों, तो सवाल जरा जटिल बन जाता है।
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' ' उन्होंने कहा, ‘‘ दरअसल हम जो देख रहे हैं वह यह कि विशेष हित समूह जो बस लोकप्रिय बनने के लिए अतार्किक मांगें रख रहे हैं ताकि वे अपना राजनीतिक दायरा बढ़ाने के लिए वोटबैंक की राजनीति कर सकें।
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और क्योंकि इनके पास सार्वस्वीकृत तथा व्यक्ति के अधिकार और कर्त्तव्यों को निर्धारित करने वाले सामाजिक तौर पर स्थापित मूल्य नहीं होते इसलिए व्यक्ति या हित समूह किसी भी नियम-कानून को धता बताने या फिर उसका मनमाने तरीके से इस्तेमाल करने से नहीं चूकते।
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यहां भी विभिन्न हित समूह अपने-अपने हितों के अनुसार राज्य शक्ति की व्याख्या करते हैं और उसी के अनुसार अपने संघर्ष की दिशा तय करते हैं जो अंतत: भ्रष्टाचार को उनके जीवन का हिस्सा बना देता है और भ्रष्टाचार नियंत्रक शक्ति का स्खलन कर देता है।
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517 से अधिक राज्य विस्तार कार्य योजनाएं बनाई जा चुकी हैं तथा किसान आधारित गतिविधियों के जरिए 17. 97 लाख महिला किसानों (19.74 प्रतिशत) सहित 91 लाख किसान लाभ उठा चुके हैं और योजना की शुरूआत से अब तक 42.060 “ किसान हित समूह ” (एफआईजी) सक्रिय हो चुके हैं।
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अगर कुछ लोग उद्वेग और आक्रामक प्रतिकार के लिए हिंसा के रास्ते पर चले गए हैं या जाने को उत्सुक हैं उन्हें भी संघ वापस रचनात्मकता के मार्ग पर लाना चाहता हैं, लेकिन एक ऐसा हित समूह है जो आरएसएस समेत सभी हिन्दू संगठनों को तालिबान, लश्करे तैयबा जैसे संगठन सिद्ध करने पर उतारू है।
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अगर कुछ लोग उद्वेग और आक्रामक प्रतिकार के लिए हिंसा के रास्ते पर चले गए हैं या जाने को उत्सुक हैं उन्हें भी संघ वापस रचनात्मकता के मार्ग पर लाना चाहता हैं, लेकिन एक ऐसा हित समूह है जो आरएसएस समेत सभी हिन्दू संगठनों को तालिबान, लश्करे तैयबा जैसे संगठन सिद्ध करने पर उतारू है।
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समूह का गठन एवं उसका क्षमता संवर्धन:-समूह का गठन और उसका क्षमता संवर्धन:-जिले में लक्ष्य के विरुद्ध ३६ कृषक हित समूह / महिला समूह का गठन किया गया तथा उक्त समूहों में ३४ समूहों का दो-दो दिवस के रूप में क्षमता संवर्धन पर प्रशिक्षित किया गया | अन्तर्राजिय कृषक प्रशिक्षण / परिभ्रमण 1.
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जरूरत है ऐसे विवेकपूर्ण सशक्त आन्दोलन की जो सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक सभी स्तरों पर जातिगत परम्पराओं के समूल उन्मूलन का बीड़ा उठाये, जाति का उसके अभिजन वर्ग के हित समूह के रूप में उपयोग की राजनीति का पर्दाफाश करे, पितृसत्तात्मक मूल्यों का अवमूल्यन कर नारी को स्वाधीनता और स्वतन्त्रा चयन का अधिकार दे और सही मायनों में वर्चस्वहीन समाज की स्थापना का प्रयास करे।
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दरअसल, सीएजी की पिछली सभी रिपोर्टो ने सार्वजनिक संस्थाओं की कार्य संस्कृति और सार्वजनिक धन की कीमत के प्रति लापरवाही का साक्षात नजारा पेश हुआ है कि कैसे सार्वजनिक व्यवस्था से जुड़े मंत्री, नौकरशाह, ठेकेदार, कारपोरेट घराने, बिचौलिये और परस्पर हित समूह सरकारी संपत्ति पर अपनी गिद्ध दृष्टि गड़ाए हुए हैं और ये अपनी निजी धन, सत्ता व भोग लिप्सा में सार्वजनिक व्यय के बंदरबांट, सार्वजनिक संपत्ति के दुरूपायोग और सार्वजनिक आमदनी में नुकसान को बेहिचक अमली जामा पहनाने का काम करते आए हैं।