जुमा सालेह की हर्जाने की अपील की सुनवाई कर रहे जज का कहना था कि निर्वासन का सामना कर रहे लोगों को आप्रवासन क़ानूनों के तहत हिरासत में रखना तभी सही था जब उनके निर्वासन की सचमुच संभावना हो.
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अगवान ने मुझे बताया, “जब उन्हें लगा कि मुझे हिरासत में रखना मुश्किल होगा क्योंकि समाज के कई हिस्सों से मुझे छोड़नें का दबाव बन रहा था, तो उन्होंने मुझे घर पर छोड़ने के लिए कहा ।
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अगवान ने मुझे बताया, ” जब उन्हें लगा कि मुझे हिरासत में रखना मुश्किल होगा क्योंकि समाज के कई हिस्सों से मुझे छोड़नें का दबाव बन रहा था, तो उन्होंने मुझे घर पर छोड़ने के लिए कहा ।
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इन सभी मुद्दों के अतिरिक्त इस रिपोर्ट में भारत में बिना सुनवाई लम्बे समय तक हिरासत में रखना, आतंकवादी विरोधी नियमों के तहत अधिक बल प्रयोग और सरकारी एवं पुलिस विभाग में उच्चस्तर पर पैदा भष्टाचार का भी उल्लेख किया गया है।
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आश्चर्य हुआ ना? लेकिन रोज़ाना होने वाली सैकड़ों सड़क दुर्घटनाओं की तरह इस मामले को नहीं देखा गया, बल्कि पुलिस ने अपने बयान में लिखित में कहा कि सुशील कोठारी को पुलिस हिरासत में रखना जरूरी है, क्योंकि उसकी जमानत से शांति भंग हो सकती है…।
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आश्चर्य हुआ ना? लेकिन रोज़ाना होने वाली सैकड़ों सड़क दुर्घटनाओं की तरह इस मामले को नहीं देखा गया, बल्कि पुलिस ने अपने बयान में लिखित में कहा कि सुशील कोठारी को पुलिस हिरासत में रखना जरूरी है, क्योंकि उसकी जमानत से शांति भंग हो सकती है … ।
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यह भी कि अपराध स्थल पर जो भी संकेत मिले हैं वे उनकी तरफ इशारा नहीं करते और न्याय के हित में उन्हें हिरासत में रखना जरूरी नहीं है. </p>< p>पिछले महीने इस स्टोरी के लिखे जाने के वक्त अदालत का एक फैसला आया था जिसमें तलवार दंपति को मामले से संबंधित और कागजात देने से मना किया गया था और 13 के बजाय केवल सात लोगों को गवाह बनाने की इजाजत दी गई थी.