सनअत भी है और सियासत भी, रिष्ता भी है और क़राबत भी, लेकिन इसके बावजूद इतनी इबादत करते हैं के मलक को आराम करने का हुक्म देना पड़ता है और उनकी एक ज़रबत इबादते सक़लैन पर भारी हो जाती है या वह एक नीन्द से मर्ज़ीए माबूद का सौदा कर लेते हैं।
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इस तरह क़ुरान की तालीम सुरक्षित रही और लोग बुराइयो से बचते रहे और भलाई का हुक्म देना अपना अहम फ़र्ज़ समझते रहे लेकिन जब लोगो ने क़ुरान की सही तालीम प अमल करने की बजाए इधर उधर ताका झाँकी करनी शुरू की तो उन्हे कुछ भी हासिल ना हुआ और ना हो सकेगा
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अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन का भारत आकर यहाँ की सरकार को ईरान के साथ गैस पाइप लाइन न बनाने, तेल के संदर्भ में अपनी निर्भरता कम करने, अपने बहुराष्ट्रीय निगमों के हित में एफडीआई लागू करने और भारत के खुदरा व्यापार क्षेत्र को खोलने का हुक्म देना देश की सम्प्रभुता पर सीधा हमला है।
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(ख़ाज़िन) तौरात के मुताबकि़ नबियों का हुक्म देना जो इस आयत में आया है उससे साबित होता है कि हम से पहली शरीअतों के जो अहक़ाम अल्लाह और रसूल ने बयान फ़रमाए हों और उनके छोड़ने का हमें हुक्म न दिया हो, स्थगित न किये गए हों, वो हमपर लाज़िम होते हैं.
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वे हमें हुक्म देना चाहते हैं कि हम क्या पहने, हम क्या खा और पी सकते हैं और किस तरीके से अपने अलग अलग ईश्वरों की पूजा कर सकते हैं, हमैं कौन सी किताबें पढ़नी चाहिए, कौन सी फिल्में देखनी चाहिए, किस कला की तारीफ करनी चाहिए और किस को बदनाम करना एवं तहस-नहस करना चाहि ए.
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पंक्तियों का जादू कुछ ऐसा था कि मुझे उस कैडेट को हुक्म देना पड़ा दुबारा पढ़ने के लिये और फिर कैम्प-फायर के पश्चात भोजन के दौरान करीब साढ़े तीन सौ कैडेटों की भीड़ में पहले तो उसे ढ़ूंढ़ निकाला और फिर देर तक बतियाता रहा उससे और उस दिन मेरा पहली बार परिचय हुआ डा ० कुमार विश्वास के नाम के साथ।
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यहां पिछली क़ौमों के अपने आप पर जु़ल्म करने का उल्लेख करते ही जो ईमान वालों का यह गुण बताया है कि वे एक-दूसरे के मित्र और सहायक हैं और नेकी को क़ायम करते और बुराई को रोकते हैं तो इससे स्पष्टतः यही बताना अभीष्ट है कि उन मिटने वाली क़ौमों ने भलाई का हुक्म देना और बुराई को रोकना छोड़ दिया था।
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यहां पिछली क़ौमों के अपने आप पर जु़ल्म करने का उल्लेख करते ही जो ईमान वालों का यह गुण बताया है कि वे एक-दूसरे के मित्र और सहायक हैं और नेकी को क़ायम करते और बुराई को रोकते हैं तो इससे स्पष्टतः यही बताना अभीष्ट है कि उन मिटने वाली क़ौमों ने भलाई का हुक्म देना और बुराई को रोकना छोड़ दिया था।
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यूं ही अमीरुल मोमिनीन (अ.स.) पर सब्बो शत्म (गालम गलौज) करना और अपने आमिलों (कर्मचारियों) को इस का हुक्म देना तारीखी मुसल्लिमात (ऐतिहासिक सत्य) में से है कि जिस से इन्कार की कोई गुंजाइश नहीं और मिंबर पर ऐस अलफ़ाज़ (शब्द) कहे जाते थे कि जिन की ज़द (परिधि) में अल्लाह और रसूल (स.) भी आ जाते थे।
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' ' (समीक्षा क्रम सं 0 2) कोई बताए कि कुरआन का अवतरण किस देश में कब और किस प्रकार हुआ? कुरआन में जब यह हुक्म दिया गया तब कुरआन और पैग़म्बर को मानने वाले कितने लोग थे? क्या 1000-1500 लोगों को ये हुक्म देना कि सारी दुनिया के लोग काफ़िर हैं, इन्हें जहां पाओ कत्ल करो, औचित्यपूर्ण और मुसलमानों के हित में था? क्या 1000-1500 आदमी सारी दुनिया के काफ़िरों को कत्ल कर सकते हैं?