तुम्हारा पक्षी न मालूम कितने-कितने पिंजड़ों मे बंद हुआ, और न मालूम कितने आकाशों में उड़ा, और न मालूम कितने रूप धरे, लेकिन जो अंतर्तम था, वह वही है।
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वास्तव में किसी व्यक्ति का अंतर्तम से स्वीकार कर लेना कि अब उसे यह जीवन नहीं जीना है और उसके जीवन का अब कोई लक्ष्य नहीं है तब व्यक्ति आत्महत्या जैसा कदम उठाता है.
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अटल जी की कविता भी कुछ ऐसे ही प्रारंभ होती है-भरी दुपहरी में अंधियारा सूरज परछांई से हारा, अंतर्तम का नेह निचोड़ें, बुझी हुई बाती सुलगाएं, आओ फिर से दिया जलाएं ।
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मर्मज्ञ जी, आज की अछांदसिक होती बेसुरी हिन्दी-कविता की बाढ़ के बीच जहाँ कहीं भी छंद-निष्ठा दिखायी देती है, मेरे हृदय के अंतर्तम गह् वरों से सहसा उस हर कवि के लिए दुआएँ ही निकलती हैं।
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ये और आगे की बातों से मेरा इशारा हिंदी में प्रतिरोध की काव्य-संस्कृति की तरफ़ भी है, जहां मनुष्य के अंतर्तम के संजालों से जूझे बिना ऊपरी स्तर पर दोहराया जाने वाला एक नारा दे दिया जाता है.
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क्योंकि मूलत: तुम बदल जाओ, तुम्हारी आख बदल जाए, तुम्हारे देखने का ढंग बदले, तुम्हारे बंद झरोखे खुलें, तुम्हारा अंतर्तम अंधेरे से भरा है रोशन हो, तो तुम परमात्मा को जान लोगे।
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वे हैं, यदि वैलेन्टाइन-डे की प्रातः विवाहोन्मुख कन्या को सर्वप्रथम उल्लू दिखाई दे, तो उसे मिलने वाला पति वणिक होगा-अब भला दोनों की अंतर्तम समानता के विषय में किसी को बताने की क्या ज़रूरत है?
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चलते-चलते एक शरीर को छोड़कर प्राण निकल जाए तो कैसा लगेगा? … यह क्या हो गया प्रभु! क्या पंडितजी के अंतर्तम मे राजनीति की छलना सोई हुई थी और यह सारा विद्या-व्यसन झूठा था, ऊपरी था।
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मंजु और कमल का प्रेम उनमें से एक है जिसमें नारी का एक ऐसा स्वरूप प्रकट होता है जो अपने पूर्व प्रेमी अर्थात् कमल से घृणा करने के बावजूद उसे अंत तक अंतर्तम से प्रेम करती रहती है ।
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मृषा बन्ध विक्रम-विलास का, मृषा मोह-माया का; इन दैहिक सिद्धियॉ, कीर्तियॉ के कंचनावरण में, भीतर ही भीतर विषण्ण मैं कितना रिक्त रहा हूँ! अंतर्तम के रूदन, अभावॉ की अव्यक्त गिरा को कितनी बार श्रवण करके भी मैने नहीं सुना है!