उन की आंखों से जख्मों से, जो भर दे वो अक्सीर कहां? मेरे लावारिस अश्कों को, जो थामे वो मनमीत कहां? मेरे अंधियारे आंगन में, जो...
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सांत्वना पुरस्कार रानू मिश्र, गोविन्द वर्मा, अमनदीप सिंह, हुमा फात्मा अक्सीर, पंकज, चंद्रबली ‘ कातिल ', दुर्गेश सिंह, अरविन्द कुमार और शादमा बानो ‘ शाद ' को दिया गया।
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इसके दांव पेंच ऐसे हैं जैसे कोई सोबदे बाज़ किसी गंवारू बाज़ार में रंगीन राख को अक्सीर दवा बता कर बेच रहा हो जो खाने, पीने, लगाने और सूंघने, हर हाल में फायदे मंद है.
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मंडी मंडी 2009 प्रेरना लक्ष्या मस्तिष्क हमारा धंदाबी-ज्ञान समीक्षा स्पर्धा इम्प्रेसैरियो छात्र निकायों रोटाराक्ट क्लबटीम मिलन स्थलस्पिक मैकेसीआयइ संपर्क करेंगूगल मानचित्र बी ज्ञान हम नीटी में यह विश्वास करते हैं कि सही प्रबंधन के अक्सीर सिद्धांतो के अध्ययन एवं उनके व्यावहारिक प्रयोग का सुंदर मिश्रण है ।
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बोली कै कविता अबहिओं बड़ी गरुहर है कहूँ-कहूँ, यही लिये की ऊ पीर से उपजी है...रमई काका, भिखारी ठाकुर, औ पढीस जी से लइकै मोती बी ए औ धरीक्षण मिसिर तक कविता 'काढ़ा' रही,फूंकि-फूंकि पियैक परत रहा मुला रही बड़ी अक्सीर, अब 'काफी' है बुज्जा भरा है...
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उन की आंखों से जख्मों से, जो भर दे वो अक्सीर कहां? मेरे लावारिस अश्कों को, जो थामे वो मनमीत कहां? मेरे अंधियारे आंगन में, जो दीया जले तकदीर कहां? मेरे तन्हा से आलम में, जो रंग भरे वो यार कहां? आहें भर भर के हार गये, अब उनमें भी तासीर कहां?
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इस अवसर पर शैलेंद्र जय, रमेश नाचीज, तलब जौनपुरी, विपीन श्रीवास्तव, शुभ्रांशु पांडेय, सुशील द्विवेदी, राजेश कुमार, शाहनवाज आलम, हुमा अक्सीर, शादमा बानो, शाहिद इलाहाबादी, विवके सत्यांशु, राजेन्द्र कुमार सिंह, सौरभ पांडेय, जयकृश्ण राय तुशार, दिव्या सिंह, वंदना कुशवाहा आदि प्रमुख रूप से मौजूद थे।
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अक्सीर हर अदा अापकी इतनी अनोखी िक िज़ंदगी मे हज़ार रंग िमलादे हम जानते है हमारे पास ये एक ही दवा है जो सारी दुिनया भुलादे अाज भी याद है अापकी अाहोंके वो नर्म झोंके जो शोर अंग़ेज़ तूफान को भी अासानी से सुलादे पर अब की कडवी बातें भी कुछ कम नही जो िदल को चीर दे और रूह को भी रुलादे िफर भी मेहरबानी है अापकी, हम नही कहेंगे िक अब बस भी किरए क्योंिक अाप भी जानतीं है,हमारे पास ये एक ही दवा है जो सारी दुिनया भुलादे *अक्सीर=