| 41. | और तब यह अगाध अनन्त अप्रमेय और अचिन्त्य जैसा हो गया है।
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| 42. | उसका चिन्तन न करके अचिन्त्य संसारी पदार्थों का चिन्तन किया जाता है।
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| 43. | चिंतन अचिन्त्य का जो करे, अक्षुण्य उसके पुण्य हो॥ [११]
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| 44. | उसका चिन्तन न करके अचिन्त्य संसारी पदार्थों का चिन्तन किया जाता है।
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| 45. | आद्यंत हीन, अचिन्त्य कारण, सूक्ष्म और स्थूल है॥ [१]
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| 46. | अचिन्त्य भेदाभेद दर्शन के अनुसार परब्रह्म का दूसरा नाम भगवान कृष्ण है।।
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| 47. | उसका चिन्तन न करके अचिन्त्य संसारी पदार्थों का चिन्तन किया जाता है।
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| 48. | अनेकानेक शक्तियाँ. भगवान की शक्तियाँ अपरिमित, असीमित, अचिन्त्य हैं.
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| 49. | नन्हाँ अचिन्त्य उत्साहित था-“ मैं तो और आगे जाऊंगा ”.
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| 50. | वह आत्मा, अलक्षण, अग्राह्य, अचिन्त्य, अव्यपदेश्य तथा एकात्मप्रत्ययसार है।
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