इन सबके बीच विपक्ष का एकजुट होकर सरकार से जेपीसी बनाने की मांग पर अड़े रहना, माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा ऐसे मामलों में दखल देना और समय समय पर सुब्रमण्यम स्वामी जी जैसे, जनता की आवाज़ उठाने वाले लोग, लोकतंत्र के लिए सकारात्मक संकेत का काम भी कर रहे हैं.
42.
बहरहाल इतने के बाद भी अगर आप अपनी अवस्थिति पर अड़े रहना चाहते हैं, तो शौक़ से अड़े रहिये, व्यक्तिगत नामों से लेखन करके शोहरत पाते रहिये, परन्तु जो लोग इन संस्कारों के शिकार नहीं होना चाहते, उन्हें इस दलदल में खींचने की कोशिश भी मत कीजिये।
43.
इन सबके बीच विपक्ष का एकजुट होकर सरकार से जेपीसी बनाने की मांग पर अड़े रहना, माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा ऐसे मामलों में दखल देना और समय समय पर सुब्रमण्यम स्वामी जी जैसे, जनता की आवाज़ उठाने वाले लोग, लोकतंत्र के लिए सकारात्मक संकेत का काम भी कर रहे हैं.
44.
हमने यूंही झुटलाना पैरा दिया है मुजरिमों के दिलों में (7) {200} (7) यानी उन काफ़िरों के, जिनका कुफ़्र इख़्तियार करना और उस पर अड़े रहना हमारे इल्म में है तो उनके लिये हिदायत का कोई भी तरीक़ा इख़्तियार किया जाए, किसी हालमें वो कुफ़्र से पलटने वाले नहीं.
45.
अमेरिका की ओर से कुछ ऐसी जानकारी दी जा रही है जोकि पूरी तरह से सही और विश्वसनीय नहीं लगती है और इन बातों की पुष्टि कुछ ऐसे तथ्य करते हैं जिन पर ध्यान दिया जाना चाहिए और जब तक इस मामले का सम्मानजनक हल न निकले तब तक भारत को अपने तथ्यों और तर्कों पर अड़े रहना चाहिए।
46.
यह कि निर्विवादित है कि राष्ट्राध्यक्षों को परस्पर विवादों के बाद भी मिलतें रहना चाहियें किन्तु यहाँ पर हमें यह देखना होगा व समीक्षा करनी होगी कि क्यों हमारें प्रधानमन्त्री पिछली चौदह भारत चीन मुलाकातों में सदैव ही भारतीय भारतीय हितों को दृढ़ता से रखना और उस पर अड़े रहना तो छोडिये उन्हें स्वर भी नहीं दे पा रहें हैं!!
47.
अगर समय के साथ चलना है तो आपने पूर्वाग्रहों पर खुले मन से विचार करना होगा, वर्षों पुराने कायदे-कानून आज के परिवेश में लागू करना या उन पर अड़े रहना आपने आप में कोई बुद्धिमत्ता की निशानी नहीं. आज से सौ-पचास साल पहले सोने-चाँदी के भारी-भरकम गहनों का रिवाज़ था, अब नहीं है, लोग बदले, क्षमताएं बदलीं, रिवाजों को भी बदलना पड़ा.
48.
आगे की बात जानने से पहले यह कविता पढ़ लीजिए: युवा कवियों सेजैसा चाहे लिखोपसन्द आये जो शैली तुम्हें,अपना लोपुल के नीचे से बह चुका है इतना खूनमुमकिन नहीं अड़े रहना इस टेक परकि सिर्फ एक ही रास्ता सही हैकविता में हर बात की इजाज़त हैबस, शर्त है सिर्फ यहीकि तुम्हें कोरे कागज़ को बेहतर बना देना हैइस कविता को दो-चार बार पढ़ने का असर ये हुआ कि मुझे भी कविता लिखने की ऊर्जा मिलती सी लगी।
49.
इससे ये सिद्ध नहीं होता कि चुगली करना आसान काम है, बल्कि इस काम में भी उतना ही जोखिम है जितना शेयर मार्केट में.चुगली करने वालों के अन्दर बहुत बड़ा जिगर चाहिए, वैसे तो चुगली करने वाली बहिनों की पोल कभी नहीं खुलती...लेकिन कभी गलती से खुल जाए तो अपनी ही बात से मुकरना, और उस पर अड़े रहना पड़ता है चाहे लाख सुबूत ही क्यूँ ना सामने आ जाएं.भगवान् से लेकर माँ, बाप,पति और अंतिम अस्त्र के रूप में बच्चों तक की कसम खाने को तैयार रहना पड़ता है