सामान्य योनिक स्राव की मात्रा में निम्नलिखित स्थितियों में वृद्ध हो सकती है-योनपरक उत्तेजना, भावात्मक दबाव और अण्डोत्सर्ग (माहवारी के मध्य में जब अण्डकोष से अण्डे का सर्जन और विसर्जन होता है)
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सच्चाईः सिद्धांततः यह माना जाता है कि महिला पीरियड के पहले अण्डोत्सर्ग करती है और पीरियड के दौरान वह अण्डाणु गर्भाशय से बाहर निकल जाते हैं, इसलिये जब अण्डाणु ही नहीं रहेंगे तो गर्भ धारण नहीं हो सकता है.
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सामान्य दौर वाली महिलाएं (यानी जो हार्मोन गर्भनिरोधक नहीं लेती और गर्भाशय और अंडाशय बरकरार है) अण्डोत्सर्ग के समय जिस्म-प्रदर्शित करने वाले कपड़े ज्यादा पहनती हैं जबकि मासिक धर्म चरण के दौरान कम उघड़े कपड़े पहनना आम बात है.
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सच्चाईः सिद्धांततः यह माना जाता है कि महिला पीरियड के पहले अण्डोत्सर्ग करती है और पीरियड के दौरान वह अण्डाणु गर्भाशय से बाहर निकल जाते हैं, इसलिये जब अण्डाणु ही नहीं रहेंगे तो गर्भ धारण नहीं हो सकता है.
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का होना आवश्यक है, लेकिन संभव है कि ऐसा शुरूआती मासिक धर्मों के साथ न हो.[28] मिनार्चे के पश्चात्, पहले वर्ष में लड़कियों में 80%, तीसरे वर्ष में 50% तथा छठे वर्ष में 10% चक्र अनियमित पाए गए.[27] मिनार्चे के पश्चात् अण्डोत्सर्ग (