वैसे रूप परिवर्तन के दौरान अनुनासिकता अपने आप आ जाती है जैसे उच्च के देशज रूप ऊंचा में यह नजर आती है।
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वैसे रूप परिवर्तन के दौरान अनुनासिकता अपने आप आ जाती है जैसे उच्च के देशज रूप ऊंचा में यह नजर आती है।
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इस तरह कस्र से ही कैंची शब्द बना हो हालांकि कैंची में जो अनुनासिकता है उसका आधार इस व्युत्पत्ति से नहीं मिलता है।
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इस तरह कस्र से ही कैंची शब्द बना हो हालांकि कैंची में जो अनुनासिकता है उसका आधार इस व्युत्पत्ति से नहीं मिलता है।
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प्लैट्स अनाहत / अनाहिदा तक पहुँचने के बावजूद इसका रिश्ता असित से जोड़ते हुए इसमें अनुनासिकता आने का तार्किक आधार नहीं बता पाते ।
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प्लैट्स अनाहत / अनाहिदा तक पहुँचने के बावजूद इसका रिश्ता असित से जोड़ते हुए इसमें अनुनासिकता आने का तार्किक आधार नहीं बता पाते ।
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अनुनासिकता के प्रयोग में कुछ अवैज्ञानिकता का प्रचलन हो गया किन्तु प्रयोग में आते-जाते जो रूप प्रचलित हो जाता है, वही भाषा का एक अंग बनकर अपना स्थान बना लेता है।
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यहां ज्ञ की ही महिमा रही और ज+ञ में से ज का लोप हो गया और ञ की अनुनासिकता शुद्ध न में तब्दील हो गई और इस तरह हुए रानी शब्द बना।
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अष्टाध्यायी मे पाणिनि ने जिन वर्णों की अनुनासिकता का निर्देश किया है वही अनुनासिक माने जातें हैं।) 2 हलन्त्यम् (1.3.3): उपदेश मे (अन्त्यम्) अन्तिम (हल्) हल् = व्यञ्जन वर्ण इत् होतें हैं।
50.
अवधी में इस ‘ सौन्ध ' के ‘ ध ' (द + ह) ‘ द ' का लोप होकर ‘ ह ' शेष रहता है अलबत्ता अनुनासिकता बरकरार रहती है।